श्रावण माह 2025: भगवान शिव की उपासना, व्रत और आस्था का महत्वपूर्ण महीना हिंदू धर्म में!
श्रावण माह 2025: भगवान शिव की उपासना, व्रत और आस्था का महत्वपूर्ण महीना हिंदू धर्म में!
श्रावण माह 2025 : हिंदू कैलेंडर में हर माह का एक विशेष महत्व होता है,
और उनमें से श्रावण माह का विशेष स्थान है।यह माह हिन्दू धर्म के अनुयायियों के
लिए विशेष रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

श्रावण माह का प्रारंभ typically जुलाई-अगस्त में होता है और यह महीना हर साल चंद्र मास के अनुसार बदलता रहता है।

साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को खत्म होगा.
इस महीने में पांच सोमवार व्रत पड़ेंगे. सावन महीने में मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा।
इस माह में भगवान शिव की पूजा, उपवास और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
आइए जानते हैं श्रावण माह के महत्व, पूजा विधि और धार्मिक संदर्भ में इसकी महिमा के बारे में।
श्रावण माह का धार्मिक महत्व

श्रावण माह हिंदू धर्म में भगवान शिव के उपासकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
इसे भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। इस माह में विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाना, बेलपत्र अर्पित करना
और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। साथ ही, श्रावण माह में व्रत,
उपवास और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे व्यक्ति के
जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
#श्रावण माह में विशेष उपासना

श्रावण माह के दौरान, विशेष रूप से सोमवार का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इसे “सोमवार व्रत” या “सावन सोमवार” कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है,
और श्रद्धालु उपवास रखते हैं। महिलाएं खासतौर पर इस दिन व्रत करती हैं और
भगवान शिव से अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
इस माह के दौरान जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव पूजा की जाती है
, जिससे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।
श्रावण माह में विशेष अनुष्ठान

श्रावण माह में विशेष प्रकार के अनुष्ठान और पूजा की जाती है।
इनमें से कुछ प्रमुख अनुष्ठान निम्नलिखित हैं:
कावड़ यात्रा: उत्तर भारत में श्रावण माह के दौरान लाखों लोग कावड़ यात्रा पर जाते हैं,
जहां वे गंगाजल भरकर भगवान शिव के मंदिरों में अर्पित करते हैं।
यह यात्रा भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप

इस माह में महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
यह मंत्र मृत्यु के भय को नष्ट करने वाला माना जाता है और
यह मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाना: श्रावण माह में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल चढ़ाना शुभ होता है।
यह भगवान शिव की पूजा का प्रमुख हिस्सा है और इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
रुद्राभिषेक: रुद्राभिषेक पूजा शिव के परम रूप का अभिषेक होती है, जिसे विशेष अवसरों पर किया जाता है।
इसे करते समय रुद्रपाठ का उच्चारण किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन को शांति और समृद्धि से भर देता है।
श्रावण माह में व्रत और उपवास

श्रावण माह में व्रत रखने की परंपरा भी बहुत पुरानी है।
विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए इस माह में उपवास करती हैं।
इस माह में हर सोमवार को उपवास रखने का महत्व विशेष रूप से माना जाता है।
वहीं, कुछ लोग इस पूरे महीने उपवास रखने का संकल्प भी करते हैं,
जिससे उनका आत्मबल मजबूत होता है और वे मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।
श्रावण माह न केवल भगवान शिव की उपासना का समय है,

बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी महीना है
इस माह में भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को आत्मिक शांति,
पुण्य और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रावण माह में किए
गए व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान न केवल शारीरिक रूप से,
बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को सशक्त और सुदृढ़ बनाते हैं।
यह माह भक्तों को अपने जीवन में आत्मविश्वास और
आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है, जिससे उनकी जीवन यात्रा सफल और समृद्ध बनती है।