Kalahasti: कालहस्ती एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और धार्मिक स्थल
Kalahasti: कालहस्ती एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और धार्मिक स्थल
Kalahasti: कालहस्ती, आंध्र प्रदेश में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जो श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां की वास्तुकला बेहद भव्य है। इसे “दक्षिण का काशी” कहा जाता है और विशेष रूप से राहु-केतु पूजा के लिए प्रसिद्ध है। स्वर्णमुखी नदी के किनारे बसा यह स्थान भक्तों और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

परिचय
श्री Kalahasti मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीकालहस्ती शहर में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और विशेष रूप से वायु के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
मंदिर की वास्तुकला और धार्मिक महत्व इसे दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक बनाते हैं।
इतिहास
श्री कालहस्ती मंदिर का इतिहास 5वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है, जब चोला वंश ने इस मंदिर का निर्माण शुरू किया था।
10वीं शताब्दी में चोला वंश के राजा महाराजा ने मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य किया।
इसके बाद, विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराय ने 1516 में नक्काशीदार 100 स्तंभों वाला मंडप बनवाया।
कथा
मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव के लिंग से रक्त बहने लगा था।
इस दृश्य को देखकर भक्त कन्नप्पा ने अपनी आंखें निकालकर लिंग के सामने रख दीं।
भगवान शिव ने प्रकट होकर कन्नप्पा को ऐसा करने से रोका और आशीर्वाद दिया।
तभी से इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा वायु के रूप में की जाती है।
वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला में 120 फीट ऊँचा गोपुरम और 100 स्तंभों वाला मंडप शामिल है,
जिसे राजा कृष्णदेवराय के शासनकाल में बनवाया गया था।
मंदिर में सफेद संगमरमर से बनी भगवान शिव की मूर्ति है, जो हाथी की सूंड जैसी दिखती है।
मंदिर का पवित्र स्थान पश्चिम की दिशा में स्थित है, जबकि मुख्य मंदिर दक्षिण की दिशा में है।
पूजा और अनुष्ठान
मंदिर में प्रतिदिन चार बार पूजा होती है:
- सुबह 6 बजे: कलासंथी
- 11 बजे: उचिकलम
- शाम 5 बजे: सयाराक्शाई
- रात 7:45 से 8:00 बजे: सयाराक्शाई
यहाँ विशेष रूप से राहु-केतु कालसर्प दोष निवारण पूजा की जाती है, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
त्योहार और उत्सव
मंदिर में महाशिवरात्रि के दौरान विशेष उत्सव मनाए जाते हैं, जिसमें लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।
13 दिनों तक चलने वाला महाशिवरात्रि ब्रह्मोत्सवम यहाँ मनाया जाता है,
जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों की भव्य यात्रा निकाली जाती है।
कैसे पहुंचे
श्री कालहस्ती मंदिर तिरुपति से लगभग 36 किलोमीटर दूर स्थित है।
तिरुपति रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
तिरुपति एयरपोर्ट से भी मंदिर तक पहुँचने के लिए परिवहन उपलब्ध है।
श्री कालहस्ती मंदिर अपनी समृद्ध इतिहास, वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
यहाँ की पूजा विधियाँ और विशेष अनुष्ठान भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं।
मंदिर की यात्रा से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी अनुभव होता है।