पाकिस्तान युद्ध :अफगान- पाक शांति वार्ता से पहले बढ़ा तनाव, पाकिस्तान ने दी नई युद्ध चेतावनी। जानें सीमा सुरक्षा, आतंकवाद, और तालिबान के बीच चल रही बातचीत के महत्वपूर्ण कारण

सीमा पार आतंकवाद और सुरक्षा चिंताएं
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्र में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकवादी समूहों को पनाह दे रहा है, जो पाकिस्तान की सीमा पर हमला कर रहे हैं। इसे लेकर दोनों देशों में झड़पें और तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को रोके, लेकिन अफगान सरकार और तालिबान ने इन आरोपों को नकारा है। इस मुद्दे पर सहमति न बनने के कारण शांति वार्ता पर संकट आ गया है।
शांति वार्ता की विफलता और खिंचाव
कतर और तुर्की में आयोजित शांति वार्ताओं का उद्देश्य था सीमा पर हिंसा रोकना, सुरक्षा चिंताओं को दूर करना, और आपसी भरोसा बहाल करना। फिर भी, पहली वार्ता (दोहा, 18-19 अक्टूबर) और दूसरी वार्ता (इस्तांबुल, 25 अक्टूबर) में आतंकवाद और सीमा पार हमले रुकवाने के मुद्दे पर कोई निर्णायक समझौता नहीं हो पाया। चर्चा के दौरान पाकिस्तान ने संयुक्त निगरानी प्रणाली, सुरक्षा गारंटी, और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की, जबकि अफगान पक्ष ने अपनी संप्रभुता और आतंकवाद से खुद की दूरी पर जोर दिया।
पाकिस्तान की गीदड़भभकी और कड़ा रुख
तुर्की में होने वाली वार्ता के ठीक पहले पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यदि वार्ता विफल होती है तो “युद्ध होगा”। उनके इस कड़े बयान से वार्ता के माहौल में तनाव और भी बढ़ गया। वह बताते हैं कि पाकिस्तान के पास भी जवाबी विकल्प हैं और वह सीमा पर हो रहे हमलों का सख्त जवाब दे सकता है। यह चेतावनी पाकिस्तान की स्थिति को मजबूत करने और अफगानिस्तान को दबाव में रखने की रणनीति भी है।
अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया और ड्रोन हमलों का आरोप
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर ड्रोन हमलों और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाया है।
तालिबान ने कहा है कि यदि अफगानिस्तान पर हमला किया गया तो वह इस्लामाबाद को निशाना बनाएगा।
दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप से तनाव और गहरा गया है
, जो वार्ता के समापन के बाद भी सीमा पर झड़पों को रोक पाने में असमर्थता दर्शाता है।
शांति वार्ता में बाधा बनने वाले मुख्य मुद्दे
- आतंकवादी समूहों के ठिकानों का विरोध और पहचान
- सीमा पार हमलों को रोकने के लिए निगरानी और सहयोग का अभाव
- पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं को अफगानिस्तान द्वारा गम्भीरता से न लेना
- अफगानिस्तान पर अमेरिकी ड्रोन हमलों के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उपयोग
- आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल होने के आरोप और उनका खंडन
युद्ध की चेतावनी का प्रभाव
पाकिस्तान की इस युद्ध चेतावनी के चलते बातचीत का माहौल तनावपूर्ण हो गया है और शांति प्रक्रिया मुश्किल में है। दोनों देशों के बीच झड़पें जारी रहने और राजनयिक प्रयास सफल न होने पर तनाव और युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है।




