Bara Imambara: इतिहास, वास्तुकला, भूल भुलैया और धार्मिक महत्व का अनोखा संगम
Bara Imambara: इतिहास, वास्तुकला, भूल भुलैया और धार्मिक महत्व का अनोखा संगम
Bara Imambara: जानिए लखनऊ के प्रसिद्ध बड़ा इमामबाड़ा का इतिहास, वास्तुकला, भूल भुलैया और धार्मिक महत्व। इस ब्लॉग में पढ़ें यात्रा के टिप्स और जानें क्यों है यह इमारत लखनऊ की शान।
लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा: इतिहास, रहस्य और आकर्षण

लखनऊ की पहचान और शान, बड़ा इमामबाड़ा, न सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत है बल्कि यह इंसानियत, वास्तुकला और रहस्यों का अद्भुत संगम भी है। अगर आप इतिहास, संस्कृति या रोमांच के शौकीन हैं, तो यह जगह आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं।
बड़ा इमामबाड़ा का इतिहास
बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1784 ई. में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने करवाया था। उस समय अवध में भयंकर अकाल पड़ा था और लोगों के पास रोजगार नहीं था। नवाब ने इस इमामबाड़ा का निर्माण अकाल राहत परियोजना के तहत शुरू कराया, ताकि लोगों को काम और भोजन दोनों मिल सके। कहा जाता है, “जिसे न दे मौला, उसे दे आसफ-उद-दौला” – यह कहावत नवाब की दरियादिली को दर्शाती है।
भूल भुलैया: बड़ा इमामबाड़ा का सबसे बड़ा आकर्षण
बड़ा इमामबाड़ा को ‘भूल भुलैया’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंदर 1000 से भी ज्यादा छोटे-छोटे रास्तों का जाल है, जो देखने में एक जैसे लगते हैं। बाहर निकलने के लिए केवल 1 या 2 रास्ते हैं, बाकी सभी रास्ते भ्रमित कर देने वाले हैं। यही वजह है कि यहां अच्छे-अच्छे लोग भी रास्ता भूल जाते हैं।
अद्भुत वास्तुकला
- यह इमारत पूरी तरह से मुगल शैली में बनी है, जिसमें न तो लोहा और न ही लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है।
- इसका केंद्रीय हॉल दुनिया का सबसे बड़ा वॉल्टेड चैंबर माना जाता है, जिसकी छत बिना किसी खंभे के टिकी है। यह लगभग 50 मीटर लंबा, 16 मीटर चौड़ा और 15 मीटर ऊंचा है।
- इमामबाड़े की छत पर जाने के लिए 84 सीढ़ियां हैं, जो ऐसे रास्तों से होकर जाती हैं कि कोई भी भ्रमित हो सकता है।
- इसकी दीवारें इतनी मोटी और खोखली हैं कि एक कोने पर खड़े व्यक्ति की आवाज दूसरे छोर तक सुनाई देती है।
- यहां एक खास झरोखा है, जिसमें से आप अंदर आने वाले हर व्यक्ति को देख सकते हैं, लेकिन वो आपको नहीं देख सकता।
बावड़ी और अन्य आकर्षण
इमामबाड़े में एक पांच मंजिला बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) भी है,
जो गोमती नदी से जुड़ी है।
इसमें पानी के ऊपर सिर्फ दो मंजिलें दिखती हैं, बाकी साल भर पानी में डूबी रहती हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
Bara Imambara सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं,
बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
मुहर्रम के महीने में यहां से ताजिया का जुलूस निकलता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।
रूमी दरवाजा और आसिफी मस्जिद
इमामबाड़े के बाहर बना रूमी दरवाजा लखनऊ का प्रवेश द्वार माना जाता है,
जिसकी ऊंचाई लगभग 60 फीट है।
परिसर में आसिफी मस्जिद भी है, जहां गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है।
यात्रा की योजना कैसे बनाएं?
- लखनऊ आने के लिए आप हवाई, रेल या सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं।
- दिल्ली से लखनऊ की दूरी फ्लाइट से लगभग 2 घंटे और सड़क/रेल मार्ग से 6-7 घंटे है।
- टिकट काउंटर मुख्य द्वार के पास है, और गाइड के साथ घूमना भूल भुलैया में迷ना रोकने के लिए अच्छा रहेगा।
Bara Imambara लखनऊ की संस्कृति,
इतिहास और वास्तुकला का जीवंत उदाहरण है।
इसकी भूल भुलैया, विशाल हॉल,
अनूठी बावड़ी और ऐतिहासिक रहस्य
हर उम्र के लोगों को आकर्षित करते हैं।
अगर आप लखनऊ जाएं, तो इस अद्भुत इमारत को जरूर देखें –
शायद आप भी इसकी भूल भुलैया में खो जाएं!