Rani ki Vav: 100 रुपए के नोट में छपी ‘रानी की वाव’ के बारे में इतनी दिलचस्प बातें नहीं जानते होंगे आप
Rani ki Vav: 100 रुपए के नोट में छपी ‘रानी की वाव’ के बारे में इतनी दिलचस्प बातें नहीं जानते होंगे आप
Rani ki Vav: रानी की वाव गुजरात के पाटण में स्थित एक भव्य और ऐतिहासिक बावड़ी है, जिसे 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश की रानी उदयमती ने बनवाया था। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इसकी अद्भुत शिल्पकला एवं नक्काशी इसे विशेष बनाती है। सात मंजिला गहराई वाली यह बावड़ी जल प्रबंधन प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी दीवारों पर विष्णु भगवान और अन्य देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
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रानी की वाव – भारतीय स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण
परिचय
रानी की वाव, जिसे “स्टेपवेल” भी कहा जाता है,
भारत की अद्भुत जल संरचनाओं में से एक है।
यह गुजरात के पाटन जिले में स्थित है और अपनी उत्कृष्ट नक्काशी और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
2014 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला।
रानी की वाव का इतिहास
इस अद्भुत बावड़ी का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश की रानी उदयामती ने अपने पति भीमदेव प्रथम की स्मृति में करवाया था।
यह केवल जल संग्रहण के लिए नहीं,
बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल के रूप में भी विकसित हुई।
वास्तुकला और संरचना
रानी की वाव की बनावट बेहद अनूठी और आकर्षक है।
इसकी गहराई लगभग 27 मीटर है और इसमें सात मंजिलें हैं।
दीवारों पर intricate मूर्तियां और देवी-देवताओं की उत्कृष्ट नक्काशी देखी जा सकती है।
इस बावड़ी में करीब 500 से अधिक मूर्तियाँ मौजूद हैं, जिनमें विष्णु के विभिन्न अवतार प्रमुख हैं।
मुख्य विशेषताएँ
- सात स्तरों वाली संरचना – यह एक बहु-स्तरीय बावड़ी है जो भव्यता का प्रतीक है।
- अद्भुत नक्काशी – दीवारों और स्तंभों पर की गई कलाकृतियाँ अद्वितीय हैं।
- जल संरक्षण प्रणाली – यह प्राचीन भारत में जल संचयन की अनूठी प्रणाली को दर्शाती है।
- योग और ध्यान केंद्र – ऐतिहासिक रूप से यह स्थान आध्यात्मिक ध्यान और शांति के लिए भी उपयोग किया जाता था।
रानी की वाव का सांस्कृतिक महत्व
यह केवल एक जल संरचना ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक महत्व से भी जुड़ी हुई है।
यहाँ की मूर्तियाँ हिंदू पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं।
विष्णु के दशावतार, अप्सराएँ और विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ इसकी भव्यता को बढ़ाती हैं।
कैसे पहुँचे?
रानी की वाव गुजरात के पाटन जिले में स्थित है।
यहाँ पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन पाटन है,
जबकि अहमदाबाद हवाई अड्डा यहाँ से लगभग 125 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग से भी यह स्थान सुगमता से पहुँचा जा सकता है।
पर्यटन और सर्वश्रेष्ठ समय
अक्टूबर से मार्च के बीच का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
सर्दियों में यहाँ का मौसम सुहावना रहता है,
जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को आराम से देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
रानी की वाव भारतीय वास्तुकला और ऐतिहासिक धरोहर का अनूठा उदाहरण है।
इसकी भव्यता, नक्काशी और जल संचयन प्रणाली इसे अद्वितीय बनाती है।
यदि आप इतिहास और कला प्रेमी हैं, तो यह स्थान अवश्य देखना चाहिए।