Muharram 2025: तारीख, महत्व, परंपरा और कर्बला की शहादत का इतिहास
Muharram 2025: तारीख, महत्व, परंपरा और कर्बला की शहादत का इतिहास
Muharram 2025: मुहर्रम 2025 भारत में 6 जुलाई (रविवार) को मनाया जाएगा। जानें मुहर्रम का धार्मिक महत्व, कर्बला की जंग में इमाम हुसैन की शहादत, ताजिया जुलूस की परंपरा और इस्लामी नववर्ष की शुरुआत से जुड़ी पूरी जानकारी।
मुहर्रम 2025: तारीख, महत्व और परंपरा – जानिए इस्लामी नव वर्ष और अशूरा के बारे में

मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है और इसे मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। यह महीना न सिर्फ नए इस्लामी साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि इमाम हुसैन की शहादत और करबला की घटना की याद में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं 2025 में मुहर्रम कब है, इसका महत्व, परंपराएं और भारत में इसे कैसे मनाया जाता है।
मुहर्रम 2025 कब है?
- 1 मुहर्रम 1447 हिजरी: 25 जून 2025 (बुधवार) को भारत में इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत होगी।
- अशूरा (10 मुहर्रम): 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा, जो मुहर्रम का सबसे महत्वपूर्ण दिन है।
नोट: तारीखें चांद की स्थिति के अनुसार एक दिन आगे-पीछे हो सकती हैं।
मुहर्रम का महत्व
- मुहर्रम को रमज़ान के बाद सबसे पवित्र महीना माना जाता है।
- यह महीना आत्म-अनुशासन, संयम, दया और ईमानदारी का संदेश देता है।
- शिया मुस्लिम समुदाय इस महीने में इमाम हुसैन (हजरत अली के बेटे और पैगंबर मुहम्मद के नवासे) की करबला में शहादत का शोक मनाता है।
- सुन्नी मुस्लिम इस महीने को रोज़ा, दुआ और इबादत के लिए खास मानते हैं, खासकर 9वीं और 10वीं तारीख (तासुआ और अशूरा) को रोज़ा रखते हैं।
भारत में मुहर्रम कैसे मनाया जाता है?
शोक और जुलूस: शिया समुदाय पहले दिन से 10वें दिन (अशूरा) तक काले कपड़े पहनकर शोक मनाता है,
मस्जिदों में दुआ करता है और करबला की घटना को याद करता है।
अशूरा के दिन ताजिए और मातमी जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें लोग इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हैं।
रोज़ा और इबादत: सुन्नी मुस्लिम रोज़ा रखते हैं और कुरान की तिलावत, दुआ और खैरात करते हैं।
सार्वजनिक अवकाश: भारत के अधिकांश राज्यों में अशूरा के दिन (2025 में 6 जुलाई या 4 जुलाई, राज्यों के अनुसार) सार्वजनिक अवकाश रहता है।
मुहर्रम से जुड़ी खास बातें
- मुहर्रम का अर्थ है “निषिद्ध”, यानी इस महीने में युद्ध या हिंसा वर्जित मानी जाती है।
- करबला की घटना 680 ईस्वी में हुई थी, जब इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दी थी।
- इस महीने को आत्म-संयम, दया, और नैतिकता के लिए जाना जाता है।
- कई गैर-मुस्लिम भी भारत में मुहर्रम के जुलूस में भाग लेते हैं और इमाम हुसैन की कुर्बानी को सम्मान देते हैं।
निष्कर्ष
मुहर्रम 2025 में 25 जून से शुरू होगा और अशूरा 4 जुलाई को मनाया जाएगा।
यह महीना सिर्फ शोक या मातम का नहीं, बल्कि इंसानियत, न्याय, और सच्चाई के लिए खड़े होने का प्रतीक है।
भारत में यह पर्व सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे और ऐतिहासिक महत्व के साथ मनाया जाता है।