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वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने कहा – ये शब्द मां भारती की साधना और ऊर्जा का प्रतीक

On: November 7, 2025 6:18 AM
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वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने कहा – ये शब्द मां भारती की साधना और ऊर्जा का प्रतीक

पीएम मोदी वंदे मातरम समारोह पीएम मोदी ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम से साल भर चलने वाले राष्ट्रीय उत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किए गए और पूरे देश में वंदे मातरम का सामूहिक गायन हुआ।

वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने कहा – ये शब्द मां भारती की साधना और ऊर्जा का प्रतीक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की

150वीं वर्षगांठ के अवसर पर देशव्यापी एक भव्य साल भर चलने वाले समारोह का शुभारंभ किया।

इस आयोजन का उद्देश्य ‘वंदे मातरम’ के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और देशभक्ति के महत्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाना

और पूरे देश में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया,

जो इस अमूल्य गीत और उसके संदेश के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

वंदे मातरम’ का इतिहास और महत्व

‘वंदे मातरम’ की रचना 7 नवंबर 1875 को महान कवि और लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी।

यह गीत पहले उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ का एक हिस्सा था।

मातृभूमि की शक्ति, समृद्धि और दिव्यता को दर्शाता यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बन चुका है।

यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है जिसने पूरे देश को स्वतंत्रता संग्राम के कठिन दौर में एकजुट किया।

आज भी ‘वंदे मातरम’ भारतीय अस्मिता और देशभक्ति का जीवन्त प्रतीक है।​

पीएम मोदी के भाषण में ‘वंदे मातरम’ की गूंज

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं है बल्कि मां भारती की साधना, संकल्प और ऊर्जा है।

यह हमें हमारे गौरवशाली इतिहास से जोड़ता है और वर्तमान को नए आत्मविश्वास से भर देता है।

पीएम मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे इस गीत की गरिमा को बनाए रखें और इसे अपने जीवन का अहम

हिस्सा बनाएं। इस गीत की गूंज हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की भावना को जागृत करती है​

देशव्यापी सामूहिक गायन और सांस्कृतिक कार्यक्रम

समारोह के दौरान पूरे भारत में एक साथ ‘वंदे मातरम’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन हुआ।

सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक परिसरों, सार्वजनिक स्थानों और लगभग हर सामाजिक इकाई ने इस

आयोजन में भाग लिया। यह वर्ष भर चलने वाला कार्यक्रम देश के हर कोने में देशभक्ति की भावना को बढ़ाएगा

और नागरिकों में राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना जगाएगा।​

युवाओं को जोड़ने की पहल

यह समारोह युवाओं को ‘वंदे मातरम’ के महत्व से परिचित कराने का एक बड़ा अवसर है।

देशभर के विद्यालयों और कॉलेजों में इस गीत की महत्ता पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इससे युवाओं में अपने इतिहास, संस्कृति और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि ‘वंदे मातरम’ आने वाले वक्त में हर भारतीय के दिल की आवाज़ बनी रहेगी

और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी।​

डिजिटल युग में ‘वंदे मातरम

सरकार ने इस ऐतिहासिक गीत की महत्ता को डिजिटल माध्यमों से जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेष पोर्टल की शुरुआत की है।

इस पोर्टल पर ‘वंदे मातरम’ की कहानी, इतिहास, वीडियो और अन्य जानकारियाँ उपलब्ध होंगी,

जिससे युवा वर्ग डिजिटल माध्यमों से भी इस गीत से जुड़ सकेगा।​

सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर उत्सव

देश के विभिन्न हिस्सों में, जैसे महाराष्ट्र के मंत्रालय, उत्तर प्रदेश, गुजरात और अन्य राज्यों में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने

पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारतीय जनता पार्टी समेत कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने

इस अवसर को धूमधाम से मनाया। ये आयोजन राष्ट्र की एकता और देशभक्ति को नए आयाम प्रदान करने में सहायक रहे​

निष्कर्ष

‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ का यह समारोह देश के गौरव और इतिहास को याद करने का यादगार अवसर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित यह आयोजन भारतीयों को अपने राष्ट्रीय

गीत के प्रति गर्व और सम्मान का एहसास कराता है।

यह वर्ष भर चलने वाला उत्सव आने वाली पीढ़ियों को भी राष्ट्रभक्ति के

इस अमर गीत के महत्व की याद दिलाता रहेगा।

‘वंदे मातरम’ अब सिर्फ एक गीत नहीं रहा, यह भारतीयों की भावना, एकता और देश

के प्रति समर्पण का जीवंत प्रतीक बन चुका है।

इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह समारोह भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती प्रदान करता है

और देशवासियों को हमेशा याद दिलाता है कि ‘वंदे मातरम’ की गूँज हमारे राष्ट्रीय आत्मसम्मान की आवाज़ है,

जिसे हर दिल में सुनना और समझना चाहिए।

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