Chamundeshwari: इतिहास, महत्त्व, पौराणिक कथा और मैसूर दशहरा उत्सव की पूरी जानकारी हिंदी में
Chamundeshwari: इतिहास, महत्त्व, पौराणिक कथा और मैसूर दशहरा उत्सव की पूरी जानकारी हिंदी में
Chamundeshwari: जानिए माँ चामुंडेश्वरी देवी के इतिहास, पौराणिक कथाओं, मैसूर के प्रसिद्ध चामुंडी मंदिर और दशहरा उत्सव की खास बातें। माँ चामुंडेश्वरी के मंदिर के दर्शन का महत्व और उनसे जुड़ी रोचक जानकारी इस ब्लॉग में पढ़ें।
चामुंडेश्वरी: शक्ति, आस्था और इतिहास का संगम

माँ Chamundeshwari देवी का नाम सुनते ही शक्ति, साहस और भक्तिभाव की छवि मन में उभर आती है। दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर के पास चामुंडी पहाड़ी पर स्थित श्री चामुंडेश्वरी मंदिर न सिर्फ धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
चामुंडेश्वरी कौन हैं?
माँ Chamundeshwari, देवी दुर्गा का ही एक रूप मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस को ब्रह्माजी से वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों ही हो सकती है। वरदान के बाद महिषासुर ने देवताओं और ऋषियों पर अत्याचार शुरू कर दिए। तब सभी देवताओं ने माँ दुर्गा की आराधना की। माँ ने चामुंडा का रूप धारण कर महिषासुर का वध किया और देवताओं को मुक्त कराया। इसी कारण देवी को ‘महिषासुर मर्दिनी’ भी कहा जाता है।
चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास
चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में होयसाला वंश के शासकों ने करवाया था, बाद में विजयनगर साम्राज्य और मैसूर के वाडेयर राजाओं ने इसका विस्तार और जीर्णोद्धार किया। यह मंदिर 3489 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ से मैसूर शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
यह मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है, मान्यता है कि यहाँ माता सती के बाल गिरे थे। मंदिर के पास ही महिषासुर की विशाल मूर्ति भी है, जो इस कथा को जीवंत बनाती है।
चामुंडेश्वरी मंदिर और मैसूर दशहरा
मैसूर का दशहरा उत्सव दुनियाभर में प्रसिद्ध है। नवरात्रि और दशहरा के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और भव्य जुलूस निकाले जाते हैं। विजयादशमी के दिन माता की सवारी (जंबो सवारी) निकाली जाती है, जिसमें माता की प्रतिमा को सजे हुए हाथी पर विराजमान कर पूरे शहर में घुमाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।
माँ चामुंडेश्वरी के दर्शन का महत्व
माँ चामुंडेश्वरी के मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
यहाँ आकर भक्तों को मानसिक शांति, शक्ति और साहस की अनुभूति होती है।
नवरात्रि के सातवें दिन देवी के इसी रूप की विशेष पूजा होती है।
मंदिर की विशेषताएँ
- 1000 साल से भी अधिक पुराना मंदिर
- 3489 फीट ऊँचाई पर स्थित
- 18 महाशक्ति पीठों में से एक
- मैसूर के राजाओं की कुलदेवी
- नवरात्रि और दशहरा उत्सव की भव्यता
माँ चामुंडेश्वरी न सिर्फ शक्ति और विजय की प्रतीक हैं,
बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का भी अद्भुत संगम हैं।
मैसूर यात्रा का अवसर मिले तो चामुंडी पहाड़ी पर स्थित इस दिव्य
मंदिर के दर्शन अवश्य करें,
माँ की कृपा से जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार अवश्य होगा।