Kailash Temple: एलोरा, इतिहास, निर्माण, अद्भुत शिल्पकला, रहस्य और यात्रा की पूरी जानकारी
Kailash Temple: एलोरा, इतिहास, निर्माण, अद्भुत शिल्पकला, रहस्य और यात्रा की पूरी जानकारी
Kailash Temple: जानिए कैलाश मंदिर, एलोरा का रहस्यमयी इतिहास, एक ही चट्टान से बनी अद्भुत वास्तुकला, निर्माण से जुड़ी कथाएं, घूमने का सही समय, टिकट कीमत और यात्रा के जरूरी टिप्स। पढ़ें क्यों कैलाश मंदिर भारतीय शिल्पकला का बेमिसाल उदाहरण है!
Kailash Temple एलोरा एक अद्भुत शिल्पकला और रहस्यमयी इतिहास

अगर आप भारत की ऐतिहासिक और अद्भुत स्थापत्य कला के दीवाने हैं, तो महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित कैलाश मंदिर (Kailash Temple) आपके लिए किसी अजूबे से कम नहीं। यह मंदिर न सिर्फ भगवान शिव को समर्पित है, बल्कि यह भारतीय शिल्पकला, इंजीनियरिंग और धार्मिक आस्था का अद्वितीय उदाहरण भी है। आइए जानते हैं कैलाश मंदिर की खासियतें, इतिहास और घूमने की जरूरी बातें।
कैलाश मंदिर का इतिहास और निर्माण
- कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम (757-783 ई.) ने करवाया था।
- यह मंदिर एलोरा की 34 गुफाओं में सबसे अद्भुत और विशाल है, जिसे एक ही विशाल चट्टान को ऊपर से नीचे काटकर बनाया गया है।
- मंदिर की लंबाई 276 फीट, चौड़ाई 154 फीट और ऊंचाई करीब 90 फीट है।
- कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में करीब 40,000 टन पत्थर हटाए गए और इसे बनने में लगभग 150-200 साल लगे, जिसमें कई पीढ़ियों और हजारों कारीगरों ने काम किया।
- मंदिर के निर्माण के पीछे एक लोकप्रिय कथा है कि राजा की रानी ने शिवजी से राजा के स्वस्थ होने की मन्नत मांगी थी और व्रत रखा था कि जब तक मंदिर का शिखर नहीं देख लेंगी, अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगी। इसी वजह से निर्माण कार्य ऊपर से नीचे की ओर शुरू किया गया।
वास्तुकला और अद्भुत शिल्प
- कैलाश मंदिर द्रविड़ शैली में बना है और पूरी तरह से एक ही चट्टान को काटकर तराशा गया है।
- मंदिर के आंगन के चारों ओर कोठरियों की पंक्तियां हैं, जिनमें मूर्तियों और शिल्पकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है
- मुख्य मंडप के सामने नंदी मंडप है, जिसके दोनों ओर विशाल हाथी और स्तंभ बने हैं।
- मंदिर के आधार पर बनी हाथियों की मूर्तियां ऐसा आभास देती हैं जैसे पूरा मंदिर उन्हीं के ऊपर टिका हो।
- मंदिर के भीतर और बाहर भगवान शिव, देवी-देवताओं, रामायण, महाभारत और पुराणों से जुड़े कई दृश्य और कथाएं उकेरी गई हैं।
रहस्य और विशेषताएं
- कैलाश मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा एकल-शिला (Single Rock) से बना मंदिर है।
- मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया, जो उस समय की इंजीनियरिंग का कमाल है।
- कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने इसे नष्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन वह इसमें असफल रहा।
- यह मंदिर आज भी पूजा-पाठ के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) है।
घूमने की जानकारी
स्थान: एलोरा, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), महाराष्ट्र
समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक (मंगलवार बंद)
टिकट: भारतीय नागरिकों के लिए ₹40, 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फ्री
गाइड: अगर आप इतिहास और शिल्पकला की बारीकियां जानना चाहते हैं तो गाइड जरूर लें,
जिससे हर मूर्ति और दीवार की कहानी समझ पाएंगे।
कैसे पहुंचे: औरंगाबाद रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से आसानी से पहुंच सकते हैं।
कैलाश मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक,
ऐतिहासिक और शिल्पकला की धरोहर है।
एक ही पत्थर से बना यह मंदिर न सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार है,
बल्कि भारतीय आस्था और समर्पण का प्रतीक भी है।
अगर आप इतिहास, कला या रहस्य में रुचि रखते हैं,
तो कैलाश मंदिर की यात्रा आपके लिए जीवनभर का अनुभव बन सकती है।