रक्षाबंधन 2025 कब है: और क्यों मनाते हैं यह विशेष पर्व, भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत और परंपरा
रक्षाबंधन 2025 कब है: और क्यों मनाते हैं यह विशेष पर्व, भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत और परंपरा
रक्षाबंधन 2025 कब है :रक्षाबंधन 2025 का त्योहार 8 अगस्त को मनाया जाएगा।
ये वो खास दिन होगा जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी,
प्यार और सुरक्षा का वादा करेंगी, और भाई अपनी बहनों को ढेर सारा प्यार और गिफ्ट्स देंगे।
रक्षाबंधन 2025 कब है
हिंदू कैलेंडर में ये श्रावण महीने की पूर्णिमा को होता है, और 2025 में ये 8 अगस्त को पड़ रहा है।
बस, थोड़ा इंतज़ार करो, और इस प्यारे त्योहार का मज़ा लो!

#रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है।
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है
और उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन की कामना करती है।
इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है

और उसे हमेशा अपनी सुरक्षा का वचन देता है।
यह त्योहार न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है,
बल्कि समाज में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
रक्षाबंधन का इतिहास

रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और इसका इतिहास बहुत पुराना है।
इसे लेकर कई धार्मिक कथाएँ भी हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब देवता और राक्षसों के बीच युद्ध हो रहा था,
तब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को राखी बांधी थी, ताकि वह विजयी हों। इस तरह से राखी की परंपरा का आरंभ हुआ।

रक्षाबंधन न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते को मान्यता देने और उसे सम्मानित करने का दिन है।
इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है, जबकि भाई अपनी बहन को प्यार और सुरक्षा का वचन देता है।
यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस साल राखी 09 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
भाई-बहन का रिश्ता प्रेम, विश्वास और समर्थन का प्रतीक है।
यह रिश्ता न केवल परिवार को जोड़ता है,
बल्कि समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है।
रक्षाबंधन 2025 कब मनाया जाएगा?

रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर
उसकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती है,
वहीं भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है।
यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है और
परिवारों में स्नेह व समझदारी को बढ़ावा देता है।
भारतीय संस्कृति में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है
और हर वर्ष इसका उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।