चारधाम यात्रा के समान पुण्य बेहद खास शांति का अनुभव करें!
चारधाम यात्रा के समान पुण्य बेहद खास शांति का अनुभव करें!
चारधाम यात्रा के समान पुण्य कमाने के लिए इन पवित्र स्थलों की यात्रा करें। जानें इसका धार्मिक महत्व और अनुभव करें आत्मिक शांति।
चारधाम यात्रा के समान पुण्य: अगर आप चारधाम की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं,
तो उत्तराखंड के इस चारधाम मंदिर के दर्शन करने से चारधाम यात्रा के बराबर फल की प्राप्ति होगी.
हल्द्वानी से 14 किलोमीटर दूर लामाचौड़ में स्थित पौराणिक मंदिर बौद्ध धर्म का सिद्ध पीठ भी माना जाता है.
मान्यता है कि करीब 450 साल पुराने इस मंदिर की बौद्ध धर्म के समय स्थापना हुई थी.
बाद में इस मंदिर को लोग चारधाम के नाम से जानने लगे

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि इस मंदिर का इतना महत्व है
कि जितना चारधाम यात्रा करने पर फल की प्राप्ति होती है.
भगवान शिव के केदारनाथ रूप के दर्शन हों या फिर कैलाश पर्वत पर बसा भगवान शिव का परिवार,
इस मंदिर में देवों के देव महादेव की कृपा बरसती है.
बेहद खास है मान्यता
चारधाम मंदिर की है बड़ी महत्तापंडित चंद्रशेखर जोशी कहते हैं
कि ऐसी मान्यता है कि कोई व्यक्ति अगर चारधाम की यात्रा नहीं कर पाता है,
तो एक बार इस मंदिर में आकर मंदिर में विराजमान भगवान यमुनोत्री,
गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जी का दर्शन कर ले तो चारधाम यात्रा के
बराबर फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में चारधाम मंदिर के
अलावा द्वारकाधीश, रामेश्वरम धाम समेत कई अन्य मंदिर भी स्थापित हैं.
इसमें भगवान शिव, शनिदेव, कुबेर देवता के अलावा देवी देवताओं के कई मंदिर भी हैं.
यहां शनिदेव मंदिर के पास पीपल के पेड़ पर बनी पांच अंगुलियों की आकृति श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर खींचती है.
मंदिर में बैकुंठ धाम
श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं मंदिर के दर्शन करने मंदिर में बैकुंठ धाम भी है,
जहां भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से मनुष्य को बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है.
बताया जाता है कि महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में यहां पर श्रद्धालु पहुंचते हैं.
भगवान शिव के दर्शन के साथ-साथ चारों धाम के दर्शन करते हैं.
जिससे उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. यही कारण है
कि इस चारधाम मंदिर की महिमा हल्द्वानी के साथ-साथ पूरे उत्तराखंड में फैली हुई है.