शादी कार्ड डिज़ाइन, गलतियाँ छपवाने में अक्सर लोग डिज़ाइन या जानकारी संबंधी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिससे बाद में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे मामलों में, प्रेमानंद महाराज का सुझाव है कि कार्ड बनाते समय निम्न गलतियों से बचें और सबकुछ दोबारा जांच लें।

#शादी के कार्ड डिज़ाइन में आम गलतियाँ
शादी के कार्ड बनाने का कार्य समारोह का पहला चरण होता है, जो मेहमानों को स्वागत और शुभकामनाएँ पहुंचाने का प्रतीक होता है।
लेकिन इस महत्वपूर्ण कार्य में कई लोग छोटी-छोटी गलतियों कर बैठते हैं,
जिनके कारण बाद में शर्मिंदगी या अशुभ फल की आशंका रहती है। सबसे सामान्य गलतियों में शामिल हैं:
अस्वीकृत रंग का प्रयोग: जैसे कि काला, भूरा या ग्रे, जो अशुभ माना जाता है।
इन रंगों का प्रयोग न करके शुभ रंग जैसे लाल, पीला, गुलाबी और सुनहरा का चुनाव करना चाहिए।
भगवान की तस्वीर या चित्र का अनावश्यक उपयोग: विशेष रूप से भगवान गणेश या
अन्य देवताओं की तस्वीर का छपना। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शादी के बाद ये चित्र फेंक दिए जाते हैं,
तो उनका अशुभ प्रभाव हो सकता है।
अजनबी आकृतियों का प्रयोग: जैसे त्रिकोण या पत्ते का आकार, जो नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
गलत जानकारी और टाइपोग्राफी: जैसे कि नाम, तिथि या स्थान में टाइपिंग या प्रूफरीडिंग में गलती।
व्यक्तिगत तस्वीर का स्थान: वर-वधु या दूल्हा-दुल्हन की फोटो का प्रयोग।
ये नजर दोष और ऊर्जा के बिगड़ने का कारण बन सकते हैं।
आकार और संदर्भ का चयन: चौकोर आकार सबसे शुभ माना जाता है
जबकि अन्य आकृतियों में नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
सामान्य अनदेखी: जैसे RSVP, समय या स्थान की सही जानकारी का ध्यान न रखना।
वास्तु शास्त्र के आधार पर सही डिज़ाइन और चयन
वास्तु के अनुसार, शादी के कार्ड के डिजाइन और रंग का खास ध्यान रखना चाहिए। कुछ मुख्य बिंदु:
रंग का चयन: लाल, पीला, गुलाबी, सुनहरा और क्रीम रंग शुभ माने जाते हैं।
काले, भूरा और ग्रे रंग से परहेज करें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा का संकेत हैं।
आकार: चौकोर या आयताकार आकार शुभ माना जाता है।
त्रिकोण, पत्ती या अनावश्यक आकार नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं।
भगवान की तस्वीर: भगवान गणेश की तस्वीर नहीं, बल्कि उनके संकेत या शुभ वाक्य जैसे ‘श्री गणेशाय नमः’ लिखना बेहतर होता है।
सटीक और स्पष्ट जानकारी: जैसे कि नाम, तिथि, स्थान, और RSVP जानकारी, सही ढंग से लिखना आवश्यक है।
साक्षरता और टाइपिंग: टाइपोग्राफी साफ और पठनीय हो, कोई टाइपिंग गलती न हो।
डिजाइन में सावधानियां और सुधार
कुछ व्यवसायिक सुझाव भी:
- प्रूफरीडिंग अवश्य करें: अंतिम उपस्थितियों से पहले, सभी विवरण पुनः जांचें।
- समान्य संस्कार और धार्मिक मान्यताएं: भगवान की तस्वीर या चित्र का प्रयोग न करें; शुभ वाक्यों का ही प्रयोग करें।
- मोटा और न्यूनतम डिज़ाइन: अत्यधिक सजावट से बचें, ताकि मुख्य जानकारी स्पष्ट रहे।
- वैकल्पिक शुभ संकेत: भगवान की तस्वीर के बजाय मंत्र या शुभ वाक्य प्रयोग करें, जिससे अशुभ प्रभाव से बचा जा सके।
- समय और आयाम: कार्ड का सही समय पर और सही आकार में प्रिंटिंग करें।
निष्कर्ष
शादी का कार्ड एक पवित्र और शुभ अवसर का प्रतीक होता है, इसलिए इसके डिज़ाइन और सामग्री में विशेष सावधानी बरतनी
चाहिए। वास्तु शास्त्र और परंपराओं का पालन करते हुए यदि सही निर्देशों का ध्यान रखा जाए, तो यह न केवल शुभ फल देता है,
बल्कि मेहमानों का सम्मान भी बढ़ाता है। किसी भी गलती से बचने के लिए अंतिम प्रूफरीडिंग
और सही जानकारी का होना अनिवार्य है। इस तरह आप अपने विवाह समारोह को शुभ और सफल बना सकते हैं।





