भारत रूस तेल सप्लाई ट्रंप नीति : मेरिका की टैरिफ एवं प्रतिबंधों के कारण भारत को रूसी तेल की सप्लाई में भारी कमी आई है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा और तेल आयात रणनीति पर असर पड़ा है। रिपोर्ट में जानें पूरी स्थिति।

ट्रंप की चेतावनी का असर! भारत को रूसी तेल की सप्लाई में आई भारी गिरावट
अक्टूबर 2025 के अंतर्गत अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रॉसनेफ्ट और लुकोइल, पर कड़े प्रतिबंध लगाए। यह फैसला वैश्विक ऊर्जा बाजार में भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ावा देने वाला था। इसका असर सीधे तौर पर भारत के रूसी तेल आयात पर पड़ा है। भारतीय रिफाइनरियों ने एहतियातन रूसी तेल की खरीद कम करना शुरू कर दिया है, जिससे सप्लाई में भारी कमी देखने को मिली है।
भारत का रूसी तेल आयात: गिरावट के आंकड़े
कमोडिटी और शिपिंग मार्केट ट्रैकर केपलर के अनुसार, 27 अक्टूबर तक के सप्ताह में भारत ने रूस से 11.9 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात किया, जो इससे पहले के 19.5 लाख बैरल की तुलना में काफी कम है।
विशेषकर रॉसनेफ्ट की आपूर्ति 14.1 लाख बैरल से घटकर 8.1 लाख बैरल प्रति दिन रह गई है, जबकि लुकोइल से इस अवधि में कोई तेल शिपमेंट नहीं हुई।
अमेरिका की चेतावनी और दबा
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि रूस की तेल बिक्री से युद्ध के लिए फंडिंग हो रही है और भारत को इस पर नजर रखनी होगी। व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने साफ़ कहा कि भारत को रूस से तेल आयात कम करना होगा और अमरीका से अधिक खरीदना चाहिए।
इसके अलावा, भारत के कुछ प्रोडक्ट्स पर अमेरिका द्वारा डबल टैरिफ लगाया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौतों पर असर पड़ा है।
भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति
भारत की ऊर्जा कंपनियां, खासकर सरकारी रिफाइनर,
ने रूस से तेल की खरीद घटाई है, जबकि निजी कंपनियों ने सीमित बढ़ोतरी की है।
यह कदम अमेरिकी प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक है।
साथ ही, भारत ने मध्य पूर्व और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से तेल खरीद बढ़ाने का रुख अपनाया है
ताकि ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
भविष्य की संभावनाएं
विश्लेषकों का मानना है कि दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में रूसी तेल की
उपलब्धता में और गिरावट आ सकती है,
क्योंकि प्रतिबंध पूरी तरह से लागू होंगे।
हालांकि, भारत पूरी तरह से रूसी तेल पर निर्भरता कम नहीं करेगा,
क्योंकि रूस से तेल अभी भी किफायती विकल्प है।
कुछ मात्रा में तेल मध्यस्थ चैनलों से आता रहेगा।
निहितार्थ
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तेल व्यापार नीति में चुनौती आई है।
लेकिन भारत की रणनीति बाजार की गतिशीलता अनुसार संतुलित लगती है
, जिससे वह वैश्विक दबाव के बावजूद अपने ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है।




