Simhachalam: आंध्र प्रदेश का प्राचीन नरसिंह धाम, अद्भुत वास्तुकला और चंदन यात्रा उत्सव का केंद्र
Simhachalam: आंध्र प्रदेश का प्राचीन नरसिंह धाम, अद्भुत वास्तुकला और चंदन यात्रा उत्सव का केंद्र
Simhachalam: विशाखापट्टनम के पास स्थित भगवान नरसिंह को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो अपनी अनूठी वास्तुकला, चंदन यात्रा उत्सव और धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। जानिए सिंहाचलम मंदिर का इतिहास, प्रमुख आकर्षण, पहुँचने का तरीका और यहाँ की खास परंपराएँ।
सिंहाचलम: आंध्र प्रदेश का दिव्य नरसिंह मंदिर

अगर आप दक्षिण भारत की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में रुचि रखते हैं, तो विशाखापट्टनम के पास स्थित सिंहाचलम मंदिर एक बार जरूर घूमना चाहिए। यह मंदिर भगवान विष्णु के उग्र नरसिंह अवतार को समर्पित है और अपनी प्राचीनता, वास्तुकला और अनूठी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
इतिहास और मान्यता
Simhachalam मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने अत्याचार की सारी हदें पार कर दी थीं, तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की और अधर्म का नाश किया। इसी घटना के बाद प्रह्लाद ने सिंहाचल पर्वत पर भगवान नरसिंह का यह मंदिर स्थापित किया था। समय के साथ यह मंदिर लापरवाही के कारण धरती में दब गया था, लेकिन बाद में लुनार वंश के राजा पुरुरवा ने इसे फिर से खोजकर स्थापित किया।
वास्तुकला और विशेषताएँ
सिंहाचलम मंदिर समुद्र तल से लगभग 800 फीट ऊँचे सिंहाचल पर्वत पर स्थित है और यह पूर्वी गंगा राजाओं द्वारा 13वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। मंदिर की वास्तुकला ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर, चालुक्य और चोल शैलियों का सुंदर मिश्रण है। यहाँ का मुख्य आकर्षण 16 स्तंभों वाला नृत्य मंडप और 96 स्तंभों वाला कल्याण मंडप है।
मंदिर का मार्ग आम, अनन्नास और अन्य फलों के पेड़ों से सजा हुआ है, और रास्ते में विश्राम के लिए बड़े-बड़े पत्थर भी लगे हैं। यहाँ का राजगोपुरम (मुख्य द्वार) पाँच मंजिला है, जो दूर से ही भव्य दिखाई देता है।
भगवान नरसिंह की प्रतिमा और चंदन यात्रा
यहाँ भगवान नरसिंह की प्रतिमा सालभर चंदन के लेप से ढँकी रहती है,
जिससे वह शिवलिंग जैसी प्रतीत होती है।
केवल अक्षय तृतीया के दिन इस लेप को हटाया जाता है और भक्तों को भगवान का
असली स्वरूप देखने का सौभाग्य मिलता है।
इसी दिन यहाँ चंदन यात्रा उत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
त्योहार और उत्सव
मंदिर में वार्षिक कल्याणम (चैत्र शुद्ध एकादशी) और चंदन यात्रा (वैशाख माह) प्रमुख त्योहार हैं।
शनिवार और रविवार को यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।
कैसे पहुँचें?
- सड़क मार्ग: विशाखापट्टनम, हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, चेन्नई और तिरुपति से बस सेवा उपलब्ध है।
- रेल मार्ग: विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
- वायु मार्ग: विशाखापट्टनम एयरपोर्ट से देश के बड़े शहरों के लिए सीधी उड़ानें हैं।
सिंहाचलम मंदिर आस्था, इतिहास और अद्भुत वास्तुकला का अद्वितीय संगम है।
यहाँ की शांत पहाड़ी, हरियाली, पौराणिक कथाएँ और
अनूठी परंपराएँ हर श्रद्धालु और पर्यटक के मन को छू जाती हैं।
अगली बार आंध्र प्रदेश जाएँ,
तो Simhachalam मंदिर की भव्यता और दिव्यता का अनुभव जरूर करें।