नोएडा ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड नोएडा में ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया। आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर फर्जी बैंक दस्तावेज, सिम और उपकरण बरामद किए गए।

ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़ किया है, जिसने “विनबुज” नामक ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग एप के जरिए लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है। इस मामले में पुलिस ने आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक महिला भी शामिल है। आरोपियों के कब्जे से भारी मात्रा में कूटरचित बैंक पासबुक, चेकबुक, फर्जी एटीएम कार्ड, प्री-एक्टिवेटेड सिम, 8 लैपटॉप, 56 मोबाइल फोन सहित कई उपकरण जब्त किए गए हैं।
ऑनलाइन गेमिंग के बहाने ठगी का तरीका
यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Instagram, Facebook पर अपने ऐप के लिए विज्ञापन देता था, जिससे यूजर्स को गेमिंग का झांसा दिया जाता था। “विनबुज” ऐप में क्रिकेट, कैसिनो, एविएटर, रूलेट और “हरालाल नंबरिंग गेम” जैसे विभिन्न खेलों का प्रलोभन दिया जाता था। शुरू में छोटी रकम जीताने के बाद यूजर्स को बड़ी राशि लगाने के लिए उकसाया जाता, लेकिन जैसे ही बड़ी रकम लगाई जाती, ऐप में लगातार हारने पर मजबूर किया जाता, जिससे यूजर्स की पूंजी डूब जाती।
गिरोह की रणनीति और बैंक खातों का दुरुपयोग
पूछताछ में पता चला कि गिरोह ने फर्जी आईडी और सिम कार्ड के आधार पर कई बैंक खाते खोले थे,
जिनका इस्तेमाल ठगी के धन को ट्रांसफर करने और निकालने के लिए किया जाता था।
एक आईडी पर करीब 3,000 क्लाइंट्स जोड़े जाते थे, और जिन खातों में 50 हजार रुपये से अधिक जमा हो जाते थे,
उन्हें तुरंत बंद (इनएक्टिव) कर दिया जाता था ताकि पकड़ में न आएं।
इसकी रकम को कई खातों में घुमा-फिराकर गैंग के मुख्य व्यक्ति के खाते में पहुंचाया जाता।
गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई
डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पुलिस ने फ्लैट नंबर 2101, टॉवर-1, ला रेजीडेंसिया सोसायटी में छापा मारा,
जहां आरोपी लैपटॉप और मोबाइल के जरिए लाइव गेमिंग और बेटिंग के कमांड्स चला रहे थे।
पुलिस ने घटनास्थल से सारे उपकरण जब्त कर सभी आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों की उम्र 20 से 24 वर्ष के बीच है और वे इटावा जिले के रहने वाले हैं।
आरोपियों ने कबूल किया कि वे लियो नामक व्यक्ति के साथ मिलकर यह गिरोह संचालित कर रहे थे।
ठगी का आर्थिक नुकसान
पुलिस के अनुसार यह गिरोह रोजाना लगभग 8 से 10 लाख रुपये की ठगी करता था।
तीन महीनों के भीतर, यह गिरोह लगभग सात करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है।
इस गिरोह ने हज़ारों लोगों को झांसा दिया और उनकी जिंदगी को आर्थिक रूप से प्रभावित किया।
साइबर अपराध के प्रति जागरूकता की जरूरत
यह मामला दर्शाता है कि ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर लोगों को तेजी से फंसाने वाले साइबर ठग
किस प्रकार बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराध करते हैं। पुलिस ने जनता से अपील की है
कि वे ऐसे शंकास्पद ऑनलाइन गेमिंग एप्स से दूर रहें और अगर किसी को संदेह हो तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।






