एक्सटेंडेड रेंज ब्रह्मोस : भारत की सैन्य क्षमता में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का एक्सटेंडेड रेंज वर्जन अब दुश्मन के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। हाल ही में भारतीय सेना के साउदर्न कमांड द्वारा बंगाल की खाड़ी में किया गया सफल कॉम्बैट लॉन्च ने साबित कर दिया कि यह मिसाइल न सिर्फ 800 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है, बल्कि पाकिस्तान के पार तक सटीक हमला करने में सक्षम है। यह वर्जन क्यों इतना खास है? आइए, इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल: एक संक्षिप्त परिचय
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम का चमत्कार है, जो रामजेट इंजन से संचालित होती है। इसकी स्पीड मच 3 (लगभग 3,700 किमी/घंटा) है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल बनाती है। शुरू में 290 किलोमीटर रेंज वाली यह मिसाइल अब एक्सटेंडेड रेंज ब्रह्मोस के रूप में 800 किलोमीटर तक मार कर सकती है। यह सब-प्लेटफॉर्म लॉन्चर है – जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से लॉन्च हो सकती है। खासकर एयर-लॉन्च्ड वर्जन सु-30एमकेआई फाइटर जेट से दागी जाती है, जो स्टैंड-ऑफ रेंज देती है।
कॉम्बैट लॉन्ग वर्जन: क्या है खासियत?
कॉम्बैट लॉन्ग वर्जन यानी युद्धक लंबी दूरी वाला संस्करण, ब्रह्मोस का उन्नत रूप है।
इसमें कई फीचर्स हैं जो इसे पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश के लिए खतरा बनाते हैं:
- 800 किमी रेंज: पहले 450 किमी सीमा अब 800 किमी हो गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “पाकिस्तान का हर इंच अब ब्रह्मोस की रेंज में है।” इससे इस्लामाबाद, रावलपिंडी जैसे गहन लक्ष्य भी निशाने पर आ जाते हैं।
- पिन-पॉइंट एक्यूरेसी: 1 मीटर CEP (सर्कुलर एरर प्रॉबेबल) के साथ यह मिसाइल हाई-वैल्यू टारगेट जैसे एयरबेस, कमांड सेंटर और लॉजिस्टिक्स नोड्स को बिना चूके नष्ट कर सकती है। बंगाल की खाड़ी टेस्ट में इसने सटीकता का परिचय दिया।
- सुपरसोनिक स्पीड और मैन्यूवरेबिलिटी: मच 3 स्पीड से पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम्स (जैसे चाइनीज HQ-9) के पास रिएक्शन टाइम जीरो रह जाता है। यह लो-फ्लाइंग प्रोफाइल में समुद्र की लहरों को छूते हुए उड़ती है, जो रडार से बचने में माहिर है।
- मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च: कॉम्बैट लॉन्च में सु-30एमकेआई से लॉन्च होने पर जेट को बॉर्डर क्रॉस करने की जरूरत नहीं।
- राजस्थान या पंजाब से ही पाकिस्तानी एयरबेस जैसे नूर खान, रफीकी या सरगोधा को निशाना बनाया जा सकता है।
यह वर्जन मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी एयरबेस पर इस्तेमाल हो चुका है,
जहां 11 बेस तबाह हो गए। पाक पीएम शहबाज शरीफ ने भी स्वीकार किया कि ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट नहीं किया जा सका।
पाकिस्तान पर प्रभाव: डिटरेंस इक्वेशन बदल गया
पाकिस्तान की सबसोनिक मिसाइलें (जैसे बाबर) ब्रह्मोस के आगे फीकी पड़ती हैं।
800 किमी रेंज से भारत को काउंटर-फोर्स स्ट्राइक की क्षमता मिली है,
जो जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा जैसे टेरर ग्रुप्स के हिडआउट्स को ध्वस्त कर सकती है।
यह न सिर्फ कन्वेंशनल वॉरफेयर में बल्कि न्यूक्लियर डिटरेंस को भी प्रभावित करता है।
पाकिस्तान अब सर्जिकल स्ट्राइक से डरता है, क्योंकि ब्रह्मोस की स्पीड से बचाव मुश्किल है।
हाल के टेस्ट में साउदर्न कमांड ने बंगाल की खाड़ी से लॉन्च कर लक्ष्य को नेस्तनाबूद किया,
जो दर्शाता है कि भारत कहीं भी, कभी भी प्रिसिजन स्ट्राइक कर सकता है।
यह एक्सपोर्ट मार्केट में भी भारत को मजबूत बनाता है – फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे देश ब्रह्मोस खरीद चुके हैं।
निष्कर्ष: भारत की स्ट्रैटेजिक सुप्रीमेसी
ब्रह्मोस कॉम्बैट लॉन्ग वर्जन भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक है। यह न सिर्फ पाकिस्तान को चेतावनी देता है,
बल्कि इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति सुनिश्चित करता है। भविष्य में 1,500 किमी रेंज का हाइपरसोनिक वर्जन आने वाला है,
जो और मजबूत करेगा।




