Mughal Garden Delhi: मानसून में भी घूम सकते हैं अमृत उद्यान, टिकट से लेकर डेट और टाइम तक सबकुछ यहां जानें
Mughal Garden Delhi: मानसून में भी घूम सकते हैं अमृत उद्यान, टिकट से लेकर डेट और टाइम तक सबकुछ यहां जानें
Mughal Garden Delhi: मुगल गार्डन, दिल्ली में राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित एक भव्य और आकर्षक उद्यान है। इसे सर एडविन लुटियंस द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसमें मुगल एवं ब्रिटिश शैली का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहाँ रंग-बिरंगे फूल, फव्वारे और हरी-भरी घास का मनमोहक नजारा पर्यटकों को आकर्षित करता है। हर साल बसंत ऋतु में इसे ‘उद्यान उत्सव’ के दौरान आम जनता के लिए खोला जाता है।

मुगल गार्डन दिल्ली: सुंदरता और ऐतिहासिक विरासत का अनूठा संगम
मुगल गार्डन का इतिहास
#मुगल गार्डन, जो राष्ट्रपति भवन के अंदर स्थित है,
भारत के सबसे खूबसूरत बागों में से एक है। इसे सर एडविन लुटियंस ने डिज़ाइन किया था
और इसका निर्माण 1928 से 1929 के बीच हुआ था।
इसका डिज़ाइन मुगलों के पारंपरिक बागों से प्रेरित है।
मुगल गार्डन की विशेषताएँ
यह बाग 15 एकड़ में फैला हुआ है और इसे चार प्रमुख हिस्सों में विभाजित किया गया है।
इसकी खासियत है यहाँ लगे दुर्लभ फूल,
झरने और सममित रूप से बनाए गए लॉन।
जलधारा और फव्वारे
मुगल गार्डन में पानी की विशेष रूप से डिज़ाइन की गई जलधाराएँ और
फव्वारे इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। यह पारंपरिक मुगल शैली की पहचान हैं।
रंग-बिरंगे फूलों की छटा
इस गार्डन में हर साल हजारों किस्म के फूल खिलते हैं,
जिनमें गुलाब, ट्यूलिप, डहलिया, और लिली शामिल हैं।
फूलों की यह बहार इसे देखने लायक बनाती है।
हर्बल गार्डन और बायोडायवर्सिटी पार्क
मुगल गार्डन में एक हर्बल गार्डन भी स्थित है जहाँ औषधीय पौधे उगाए जाते हैं।
यहाँ तुलसी, एलोवेरा, लेमन ग्रास जैसे पौधे पाए जाते हैं।
उद्घाटन और आम जनता के लिए प्रवेश
मुगल गार्डन हर साल वसंत ऋतु में जनता के लिए खोला जाता है,
जिसे ‘उद्यानोत्सव’ के नाम से जाना जाता है।
यह आमतौर पर फरवरी और मार्च के महीनों में जनता के लिए खुला रहता है।
कैसे पहुँचे मुगल गार्डन?
दिल्ली मेट्रो की पीली लाइन पर स्थित केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
मुगल गार्डन अपनी भव्यता, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के कारण एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है।
यदि आप दिल्ली में हैं, तो इसे देखना न भूलें।
Comments (15)
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