Humayun’s Tomb: हुमायूं का मकबरा दिल्ली का ऐतिहासिक चारबाग मकबरा और मुगल वास्तुकला का अद्भुत नमूना
Humayun’s Tomb: हुमायूं का मकबरा दिल्ली का ऐतिहासिक चारबाग मकबरा और मुगल वास्तुकला का अद्भुत नमूना
Humayun’s Tomb: हुमायूं का मकबरा दिल्ली में स्थित एक भव्य मुगल स्मारक है, जिसे हुमायूं की पत्नी बेगा बेगम ने 16वीं सदी में बनवाया था। जानिए हुमायूं के मकबरे का इतिहास, वास्तुकला, रोचक तथ्य और पर्यटन से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में। दिल्ली घूमने आएं तो इस विश्व धरोहर स्थल को जरूर देखें!
हुमायूं का मकबरा: दिल्ली की शान और मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित हुमायूं का मकबरा न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में मुगल वास्तुकला का एक शानदार प्रतीक है। यह मकबरा इतिहास, कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। आइए जानते हैं इस भव्य स्मारक की कहानी, इसकी खासियतें और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य—
हुमायूं का मकबरा: इतिहास की झलक
- हुमायूं के मकबरे का निर्माण उनकी पत्नी बेगा बेगम (हाजी बेगम) ने करवाया था, ताकि अपने पति की याद को अमर किया जा सके।
- इसका निर्माण 1569-70 में शुरू हुआ और लगभग आठ वर्षों में पूरा हुआ।
- मकबरे के वास्तुकार फारसी शिल्पकार मिराक मिर्ज़ा घियास और उनके बेटे सय्यद मुहम्मद थे, जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात से बुलवाया गया था।
- निर्माण में करीब 15 लाख रुपये की लागत आई थी, जो उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी।
वास्तुकला और विशेषताएँ
- हुमायूं का मकबरा भारत का पहला चारबाग (फारसी शैली का बाग) आधारित उद्यान-मकबरा है, जिसमें बाग को चार बराबर हिस्सों में बाँटा गया है।
- मुख्य इमारत लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाती है।
- मकबरे का गुंबद 42.5 मीटर ऊँचा है और यह दोहरे गुंबद (डबल डोम) की तकनीक पर आधारित है, जो उस समय के लिए अनूठा था।
- परिसर में हुमायूं के अलावा उनकी पत्नी, दारा शिकोह (शाहजहाँ का बेटा) और मुगल परिवार के 150 से अधिक सदस्यों की कब्रें हैं, इसलिए इसे ‘मुगलों का शयनागार’ भी कहा जाता है।
- यह मकबरा 27 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और इसके चारों ओर कई अन्य ऐतिहासिक कब्रें और स्मारक भी मौजूद हैं।
रोचक तथ्य
हुमायूं का मकबरा ही वह प्रेरणा स्रोत था, जिससे बाद में ताजमहल जैसी भव्य इमारत का निर्माण हुआ।
1993 में इसे UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फर ने यहीं शरण ली थी।
मकबरे के आसपास का इलाका सूफी संत हज़रत निजामुद्दीन
औलिया की दरगाह के लिए भी प्रसिद्ध है।
क्यों जाएँ हुमायूं का मकबरा?
अगर आप इतिहास, कला और वास्तुकला में रुचि रखते हैं,
तो यह जगह आपके लिए स्वर्ग से कम नहीं।
यहाँ का चारबाग उद्यान, भव्य गुंबद,
और लाल-संगमरमर की शानदार नक्काशी
आपको मुगलों के सुनहरे युग की सैर कराती है।
यह दिल्ली के सबसे खूबसूरत और शांत पर्यटन स्थलों में से एक है,
जहाँ हर साल लाखों देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
Humayun’s Tomb सिर्फ एक कब्र नहीं, बल्कि मुगल कला,
प्रेम और विरासत का जीवंत उदाहरण है।
दिल्ली जाएँ तो इस ऐतिहासिक स्मारक को जरूर देखें और
भारतीय इतिहास की भव्यता को करीब से महसूस करें।