Arail Ghat: अरैल घाट का आध्यात्मिक महत्व और यहाँ होने वाले प्रमुख अनुष्ठान
Arail Ghat: अरैल घाट का आध्यात्मिक महत्व और यहाँ होने वाले प्रमुख अनुष्ठान
Arail Ghat: अरैल घाट उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में यमुना नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
यह घाट अपनी धार्मिक मान्यताओं, शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
त्रिवेणी संगम के पास स्थित होने के कारण अरैल घाट की आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
यहाँ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं।
इस लेख में हम अरैल घाट की महत्ता, इतिहास, आकर्षण और यात्रा से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे।

अरैल घाट का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
(i) कुंभ और माघ मेला का प्रमुख स्थल
कुंभ मेला: हर 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले के दौरान अरैल घाट पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं।
माघ मेला: हर साल मकर संक्रांति से शुरू होने वाले माघ मेले में कल्पवास करने वाले साधु-संत यहाँ निवास करते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान: पिंडदान, तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठान के लिए भी यह घाट प्रसिद्ध है।
(ii) इतिहास और नामकरण
अरैल घाट का नाम इसके आसपास के क्षेत्र अरैल के नाम पर पड़ा है, जो कि यमुना नदी के उस पार स्थित है।
इस घाट का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है, जहाँ इसे मोक्षदायिनी भूमि कहा गया है।
अरैल घाट पर प्रमुख आकर्षण
(i) संगम स्थल का दृश्य
अरैल घाट से त्रिवेणी संगम का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है, जहाँ गंगा का साफ पानी यमुना के हरे-नीले जल से मिलते हुए देखा जा सकता है।
नौका विहार के माध्यम से संगम तक पहुँचकर श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं।
(ii) हनुमान मंदिर और आश्रम
हनुमान मंदिर: अरैल घाट के पास स्थित हनुमान मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रहती है।
आश्रम और संतों की कुटिया: कई साधु-संत यहाँ अपने आश्रमों में साधना और प्रवचन करते हैं।
(iii) गंगा आरती और दीपदान
गंगा आरती: हर शाम को गंगा आरती का दिव्य आयोजन होता है, जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
दीपदान: कार्तिक पूर्णिमा और विशेष अवसरों पर दीपदान का आयोजन होता है, जो घाट को रोशनी से जगमगा देता है।
अरैल घाट तक कैसे पहुँचें?
(i) सड़क मार्ग से:
प्रयागराज शहर से दूरी: लगभग 10 किमी
ऑटो और बस सेवा: सिविल लाइंस और प्रयागराज जंक्शन से ऑटो और लोकल बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
(ii) रेल मार्ग से:
नजदीकी रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन और प्रयागराज छिवकी
ट्रेन सेवा: दिल्ली, मुंबई, वाराणसी और अन्य प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
(iii) हवाई मार्ग से:
नजदीकी हवाई अड्डा: बामरौली हवाई अड्डा (प्रयागराज) जो लगभग 25 किमी दूर है।
कैब और बस सेवा: एयरपोर्ट से अरैल घाट तक कैब और बस की सुविधा है।
अरैल घाट पर करने योग्य चीजें
(i) स्नान और पूजा-अर्चना
श्रद्धालु यहाँ पवित्र स्नान कर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करते हैं।
पंडों द्वारा पिंडदान और तर्पण की विशेष व्यवस्था होती है।
(ii) नौका विहार
यमुना नदी में नाव की सवारी करते हुए संगम तक जाना और वहाँ स्नान करना एक यादगार अनुभव है।
नाविकों से पहले से किराया तय कर लेना चाहिए।
(iii) ध्यान और योग
घाट का शांत वातावरण ध्यान और योग के लिए आदर्श है।
कई साधु-संत यहाँ साधना करते हुए देखे जा सकते हैं।
अरैल घाट के पास दर्शनीय स्थल
(i) त्रिवेणी संगम:
गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन स्थल।
कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान यहाँ विशाल मेले का आयोजन।
(ii) अक्षयवट:
प्रयागराज किले में स्थित यह प्राचीन बरगद का पेड़, जिसे अमरत्व का प्रतीक माना जाता है।
(iii) आनंद भवन और स्वराज भवन:
नेहरू परिवार का निवास, जो अब संग्रहालय है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी महत्वपूर्ण धरोहरें यहाँ प्रदर्शित हैं।
यात्रा के लिए सुझाव
- समय: सुबह-सुबह या शाम के समय जाना बेहतर है, जब भीड़ कम होती है।
- सुरक्षा: घाट पर फिसलन से बचें और अपने सामान का ध्यान रखें।
- पवित्रता: घाट की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्लास्टिक और कचरा न फैलाएँ।
- स्थानीय भोजन: संगम के पास मिलने वाले चाट, लस्सी और कचौड़ी का स्वाद लें।
Arail Ghat न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि शांति और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर स्थान भी है।
इसकी आध्यात्मिकता, पवित्र स्नान और संगम का दृश्य हर किसी के दिल को छू जाता है।
अगर आप प्रयागराज की यात्रा पर हैं,
तो अरैल घाट जाना न भूलें और इस पवित्र स्थल की भव्यता का अनुभव करें।