पाकिस्तान पेशावर आतंकी हमला पाकिस्तान के पेशावर में पैरामिलिट्री फोर्स के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में आत्मघाती विस्फोट के बाद 3 लोगों की मौत हो गई, सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया।

पाकिस्तान पेशावर आतंकी हमला: क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर एक बार फिर भीषण आतंकी हमले से दहल उठा,
जहां पैरामिलिट्री फोर्स के मुख्यालय को निशाना बनाया गया।
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार,
सशस्त्र बंदूकधारियों और आत्मघाती हमलावरों ने फ्रंटियर कॉन्स्टेबुलरी
(एफसी) के मुख्यालय पर धावा बोला,
जिसमें 3 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई है
और कई के घायल होने की आशंका जताई जा रही है।
हमले की शुरुआत सुबह के समय मुख्य गेट पर हुए आत्मघाती विस्फोट से हुई,
जिसके बाद परिसर के अंदर घुस चुके आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग की।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लगातार दो शक्तिशाली धमाकों की आवाज सुनाई दी
और उसके बाद लंबे समय तक गोलियों की तड़तड़ाहट ने पूरे सदर इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
कैसे हुआ हमला और क्या रही कार्रवाई?
सूत्रों ने बताया कि पहले आत्मघाती हमलावर ने मुख्य प्रवेश द्वार पर खुद को उड़ा लिया,
जिससे सुरक्षा घेरा कमजोर हो गया और दूसरे हमलावरों को अंदर घुसने का मौका मिल गया।
इसके बाद परिसर के भीतर मौजूद इमारतों और पोस्टों पर फायरिंग शुरू हो गई,
जिससे सुरक्षाकर्मियों को संभलने का कम समय मिला।
हमले की जानकारी मिलते ही सेना, एफसी और पुलिस की विशेष टीमें मौके पर पहुंचीं और पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी गई।
पेशावर के कैपिटल सिटी पुलिस ऑफिसर ने बताया कि जवाबी कार्रवाई के दौरान दो आतंकवादी मारे गए
और बाकी हमलावरों की तलाश के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया गया,
साथ ही आसपास के व्यस्त बाजारों और सड़कों को एहतियातन बंद कर दिया गया।
पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ती आतंकी घटनाएं
पेशावर और खैबर पख्तूनख्वा का इलाका पिछले कुछ समय से लगातार चरमपंथी हिंसा का केंद्र बना हुआ है,
जहां सुरक्षा बलों और पुलिस को निशाना बनाने वाली घटनाओं में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
विश्लेषकों के अनुसार, प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे संगठनों द्वारा
युद्धविराम तोड़ने के बाद से इस क्षेत्र में फिदायीन और आईईडी हमले आम होते जा रहे हैं।
कुछ दिन पहले इसी प्रांत में पीस कमेटी के दफ्तर पर
हमले में दो सदस्यों की हत्या कर दी गई थी,
जो यह संकेत देता है कि उग्रवादी न केवल सुरक्षा ढांचों पर
बल्कि शांति बहाली के प्रयासों पर भी चोट कर रहे हैं।
इस ताजा हमले ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा नीति,
खुफिया तंत्र और संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा
व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
सुरक्षा तंत्र के सामने चुनौतियां और जरूरतें
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने कड़े सुरक्षा घेरे वाले पैरामिलिट्री मुख्यालय पर सफल हमला होना
खुफिया व सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है,
क्योंकि हमलावर न केवल गेट तक पहुंचे बल्कि विस्फोट और फायरिंग दोनों को अंजाम देने में कामयाब रहे।
ऐसे हमले सुरक्षा एजेंसियों के मनोबल के साथ-साथ आम नागरिकों के भरोसे को भी गहरा झटका देते हैं,
जो पहले से ही हिंसा और अस्थिरता से परेशान हैं।
अब सबसे बड़ी जरूरत यह है कि पाकिस्तान संवेदनशील ठिकानों
की सुरक्षा समीक्षा कर परिधि सुरक्षा,
निगरानी तकनीक, इंटेलिजेंस शेयरिंग और आतंकवाद विरोधी अभियानों को और सख्ती से लागू करे।
साथ ही,चरमपंथी विचारधाराओं और भर्ती नेटवर्क को तोड़ने के लिए राजनीतिक,
सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी,
वरना पेशावर जैसे शहर बार-बार इस तरह के खूनी हमलों का शिकार बनते रहेंगे।

