पूजा विधि, काल भैरव जयंती मुहूर्त में भक्त भगवान काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिसमें भैरव चालीसा का पाठ, काले तिल और काली दाल का भोग, सरसों के तेल का दीपक जलाना शामिल है। इस दिन भैरव मंदिरों में रात्रि जागरण और भक्ति कार्यक्रम होते हैं। पूजा के दौरान भय, रोग, शत्रुता और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति की कामना की जाती है।

काल भैरव जयंती 2025: पूजन विधि और महा मुहूर्त
काल भैरव जयंती भगवान शिव के क्रोध स्वरूप काल भैरव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व मार्गशीर्ष मास की
कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को आता है, जो इस वर्ष 12 नवंबर 2025 को है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से भय
, शत्रु बाधा, रोग और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है तथा जीवन में साहस और सफलता आती है।
पूजा विधि:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र पहनें, यदि संभव हो तो काले या गहरे रंग के कपड़े धारण करें।
- पूजा स्थल पर लकड़ी के पट या चौकी पर काला या लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान काल भैरव की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- सरसों के तेल से दीपक प्रज्वलित करें और गुग्गल की धूप जलाएं।
- भगवान को कुमकुम, हल्दी और लाल चंदन से तिलक करें।
- भैरव जी को बेल पत्र, धतूरे के फूल, काले तिल, काली उड़द की दाल, फल और पंचामृत अर्पित करें।
- रुद्राक्ष की माला से “ॐ भैरवाय नमः” मंत्र कम से कम 108 बार जाप करें।
- भैरव चालीसा या काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
- पूजा के अंत में कपूर या घी के दीपक से भगवान की आरती करें।
- भैरव जी के वाहन कुत्ते को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है, साथ ही काले तिल, उड़द, नारियल और सरसों के तेल का भोग लगाया जाता है।
महा मुहूर्त:
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 बजे से 2:36 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:29 बजे से 5:55 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:56 बजे से 5:49 बजे तक
पूजा के दौरान भक्त रात्रि जागरण कर भैरव मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
इस दिन भैरव की पूजा विशेष रूप से राहु-केतु और
शनि ग्रहों के दोष दूर करने के लिए फलदायी मानी जाती है। अनाथों, गरीबों या
साधुओं को भोजन कराना भी इस दिन के शुभ कार्यों में से एक है।
काल भैरव जयंती की यह पूजा विधि और मुहूर्त बच्चों से लेकर वृद्धों तक सभी के जीवन में सकारात्मकता,
आत्मबल और सुरक्षा की भावना लाती है। इससे व्यक्ति के जीवन के
तमाम प्रकार के डर, शत्रुता और नकारात्मक शक्तियों का
अंत होता है। इसे काशी का कोतवाल भी कहा जाता है, अतः उनकी
उपासना से न्याय, सुरक्षा और सफलता की प्राप्ति होती है।
यह विडियो पोस्ट उन सभी भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी है
जो काल भैरव जी की पूजा विधि, सही मुहूर्त और महत्ता को समझना
चाहते हैं और अपने जीवन में शुभता एवं सुरक्षा चाहते हैं।
इस दिव्य पूजा से जुड़ी सभी जानकारी संपूर्ण रूप से साझा की गई
है ताकि इस पावन पर्व पर आपकी श्रद्धा और भक्ति पूर्ण फलित हो सके।
यदि आप इस कल भैरव जयंती पर विधिपूर्वक पूजा करना चाहते हैं
तो ऊपर दी गई पूजा सामग्री और मंत्रों का प्रयोग करें
और शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें। भगवान काल भैरव की आराधना से जीवन में सुख-
शांति, समृद्धि और भय रहित जीवन की प्राप्ति होती है।





