सऊदी अरब झारखंड युवक पुलिस और अपराधियों के बीच हुई गोलीबारी में गलती से लगी गोली से मौत। घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाए जाने के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी परिवार न्याय एवं शव की स्वदेश वापसी की मांग कर रहा है घटना से गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
मौत की घटना

यह घटना अक्टूबर माह की 15 तारीख को जेद्दाह में हुई जब विजय काम करने के लिए सामग्री लेने गए थे।
उसी समय स्थानीय पुलिस और एक नगर वसूली गैंग के बीच गोलीबारी शुरू हो गई।
विजय उस क्रॉसफायर के बीच फंस गए और गलती से उन्हें गोली लगी।
उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर चोट के कारण उनकी 24 अक्टूबर को मौत हो गई।
उनकी मौत की सूचना परिवार को लगभग एक सप्ताह बाद मिली।
अंतिम संवाद और परिवार
विजय ने मरने से पहले अपनी पत्नी बसंती देवी को व्हाट्सएप पर खोरठा भाषा में वॉइस नोट भेजा था
जिसमें उन्होंने बताया कि वे गोली लगने से घायल हैं और मदद के लिए निवेदन कर रहे थे।
वे पीछे छोड़ गए अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चे (लगभग 5 वर्ष एवं 3 वर्ष के) के साथ अपने माता-पिता को। उनका परिवार
इस घटना से टूट गया है और वे उनकी शव वापसी तथा मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
प्रशासनिक प्रयास
झारखंड के श्रम विभाग एवं माइग्रेंट कंट्रोल सेल ने भारतीय दूतावास के साथ संपर्क किया है
ताकि विजय का शव सऊदी अरब से लौटाया जा सके। सऊदी पुलिस की जांच एवं आवश्यक क्लीयरेंस के बाद ही शव की रवानगी संभव है।
स्थानीय विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता भी मामले को संज्ञान में लेकर शोक संतप्त परिवार को न्याय एवं
मुआवजा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।
सामाजिक और मानवीय पहलू
यह घटना झारखंड के कई प्रवासी मजदूरों की कठिन परिस्थितियों और विदेश में काम करते हुए
उन्हें उठानी पड़ने वाली जोखिमों को उजागर करती है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है,
जिसके कारण मुआवजा और उचित कानूनी सहायता की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन एवं भारत सरकार से उम्मीद है
कि वह इस मामले में पूरी मदद प्रदान करेगी ताकि परिवार को न्याय और मनोवैज्ञानिक राहत मिल सके
यह दुखद घटना यह याद दिलाती है कि विदेश में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा और उचित संरक्षण की संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है।
विजय कुमार महतो के जैसे युवा परिवारों के लिए हीरो होते हैं, जिनकी कुर्बानी को सम्मान और उनके परिवार को न्याय मिलना चाहिए.





