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स्मार्ट मीटर ने दिखाया माइनस बैलेंस! प्रीपेड मोड शुरू होते ही उपभोक्ताओं में मचा हड़कंप

On: October 25, 2025 5:31 AM
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स्मार्ट मीटर प्रीपेड बैलेंस

स्मार्ट मीटर प्रीपेड बैलेंस : समस्यास्मार्ट प्रीपेड मीटर ने दिखाया माइनस बैलेंस! जानिए क्यों शुरू होते ही उपभोक्ताओं में मचा हड़कंप, क्या हैं इसके कारण, समाधान और बिजली विभाग की नई गाइडलाइन। पढ़ें स्मार्ट मीटर से जुड़ी पूरी जानकारी।

स्मार्ट मीटर प्रीपेड बैलेंस
स्मार्ट मीटर प्रीपेड बैलेंस

स्मार्ट मीटर ने दिखाया माइनस बैलेंस! प्रीपेड मोड शुरू होते ही उपभोक्ताओं में मचा हड़कंप

देशभर में बिजली वितरण व्यवस्था को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से ऊर्जा विभाग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर प्रणाली की शुरुआत की है। लेकिन हाल के दिनों में कई राज्यों के उपभोक्ता तब चौंक गए जब उनके मीटर में अचानक माइनस बैलेंस (ऋणात्मक शेष) दिखने लगा। इससे लोगों में हड़कंप मच गया और कई जगह उपभोक्ताओं ने शिकायतें दर्ज कराईं कि बिना बिजली उपयोग किए ही उनका बैलेंस घट रहा है।

क्या है स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिस्टम?

स्मार्ट मीटर एक आधुनिक डिजिटल डिवाइस है जो बिजली खपत का रीयल‑टाइम डाटा दिखाता है। यह मोबाइल ऐप या पोर्टल के जरिए कनेक्ट होता है, जहां उपभोक्ता अपना बिजली रिचार्ज कर सकते हैं—बिल्कुल मोबाइल रिचार्ज की तरह।

  • उपयोग की गई यूनिट का मूल्य स्वचालित रूप से घटता जाता है।
  • जब बैलेंस कम होता है, तो उपभोक्ता को मोबाइल पर सूचना मिलती है।
  • बैलेंस खत्म होने पर बिजली अस्थायी रूप से बंद हो जाती है, और रिचार्ज करने के बाद तुरंत फिर चालू हो जाती है।

इस सिस्टम का उद्देश्य पारदर्शिता, बिना मानव गलती के बिलिंग और स्मार्ट ऊर्जा प्रबंधन है।

लेकिन माइनस बैलेंस क्यों दिखा रहा है मीटर?

हाल के उदाहरणों में कई उपभोक्ताओं ने बताया कि जैसे ही प्रीपेड मोड चालू हुआ, पुराने बिल का बकाया स्वतः डेबिट हो गया। इस वजह से कुछ मीटर ने निगेटिव बैलेंस (-) दिखाना शुरू कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे ये मुख्य कारण हैं:

  • पुराने पोस्टपेड बिलों का ऑटो एडजस्टमेंट, यानी पहले के बकाये का समायोजन।
  • सर्विस चार्ज, मीटर किराया या टैक्स जैसी छिपी हुई फीस का डेबिट होना।
  • डाटा सिंक्रोनाइजेशन लेट होने के कारण अस्थायी त्रुटि।
  • कुछ मामलों में टेक्निकल इश्यू या सॉफ्टवेयर अपडेट का प्रभाव।

उपभोक्ता क्यों हो रहे हैं परेशान?

अधिकांश उपभोक्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा कि “माइनस बैलेंस” का क्या अर्थ है।

कई लोगों को डर है कि उन्होंने बिना उपयोग के ही पैसे खो दिए। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिकायतें बढ़ने लगी हैं कि मीटर तुरंत बैलेंस काट देता है जबकि ऐप पर कोई जानकारी नहीं दिखती।

  • कुछ घरों में अचानक बिजली कट गई क्योंकि बैलेंस जल्दी खत्म हो गया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क समस्या के कारण रिचार्ज में देरी हो रही है।
  • कई लोग ऐप में बैलेंस और मीटर डिस्प्ले के आंकड़ों में फर्क देख रहे हैं।

ऊर्जा विभाग क्या कह रहा है?

विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOM) का कहना है कि सभी उपभोक्ताओं को पुराना बकाया साफ करने और फिर रिचार्ज करने की सलाह दी गई है। विभाग का दावा है कि किसी का नुकसान नहीं होगा। उपभोक्ता को अपने खाते में लॉगिन कर यह जांचना चाहिए कि पुराना बिल किस प्रकार से समायोजित हुआ है।

कुछ राज्यों ने हेल्पलाइन नंबर और मोबाइल ऐप में चैट सपोर्ट भी जोड़ा है, ताकि उपभोक्ता सीधे शिकायत दर्ज करा सकें।

स्मार्ट प्रीपेड मीटर के फायदे

हालांकि शुरुआत में परेशानी हो रही है, पर लंबे समय में यह प्रणाली उपभोक्ताओं के हित में मानी जा रही है।

  • बिलिंग में पारदर्शिता और मानव गलती समाप्त
  • बिजली खपत पर नियंत्रण और बजट फ्रेंडली उपयोग
  • चोरी और मीटर टेम्परिंग पर रोक।
  • रियल‑टाइम नोटिफिकेशन और ऐप से पेमेंट सुविधा।
  • उपभोक्ता स्वयं तय कर सकता है कि वह कितना रिचार्ज करे।

इन फायदों को देखते हुए, सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में देशभर में सभी मीटर स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदल दिए जाएं।

क्या करें जब मीटर दिखाए माइनस बैलेंस

यदि आपका मीटर अचानक निगेटिव बैलेंस दिखा रहा है, तो घबराएं नहीं।

  • अपने State Electricity Board की वेबसाइट या ऐप खोलें।
  • रजिस्टर मोबाइल नंबर से लॉगिन करके बिल हिस्ट्री और बैलेंस डिटेल देखें।
  • “Last Adjustment” और “Old Bill Dues” सेक्शन को ध्यान से पढ़ें।
  • हेल्पलाइन (जैसे 1912 या संबंधित डिस्कॉम नंबर) पर शिकायत दर्ज करें।
  • मीटर रीडिंग की फोटो लेकर सबूत रखें।

निष्कर्ष

स्मार्ट मीटर प्रणाली ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव है,

लेकिन डिजिटल ट्रांज़िशन के दौरान पारदर्शिता और जागरूकता अत्यावश्यक है।

उपभोक्ताओं को अपने खाते की नियमित जांच करनी चाहिए और यदि कोई विसंगति दिखे तो तुरंत संबंधित विभाग से संपर्क करना चाहिए।

सरकार और बिजली कंपनियों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीकी अपडेट से पहले उपभोक्ताओं को सही जानकारी दी जाए।

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