रोजा खोलने की दुआ: रमज़ान के महीने में एक महत्वपूर्ण आस्था बरकत और रहमत पाने के लिए रमजान में रोज़ा रखने और खोलने की ये दुआ पढ़ें!
रोजा खोलने की दुआ: रमज़ान के महीने में एक महत्वपूर्ण आस्था बरकत और रहमत पाने के लिए रमजान में रोज़ा रखने और खोलने की ये दुआ पढ़ें!
रोजा खोलने की दुआ रमज़ान के महीने में रोज़े रखना मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य है।
पूरे महीने भर, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक, खाने-पीने और अन्य भौतिक सुखों से
दूर रहकर इन्सान खुद को अल्लाह के करीब महसूस करता है। यह एक समय होता है
रोजा खोलने की दुआ

(आत्म-निर्माण, संयम और ताजगी का, जो व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है।
लेकिन रोज़ा खोलने का वक्त सबसे ख़ास होता है, क्योंकि यह एक आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा का प्रतीक है)
रोजा खोलने की दुआ

रोज़ा खोलने के समय मुस्लिम समुदाय की एक विशेष दुआ का पालन करते हैं।
यह दुआ न केवल शारीरिक भूख को शांत करने का माध्यम है,
बल्कि यह आत्मिक रूप से भी तृप्ति और शांति का अहसास कराती है। रोज़ा खोलने की दुआ इस प्रकार होती है:
“اللهم إني لك صمت وبك آمنت وعليك توكلت وعليك فطرت”
(अल्लाहुम्मा इन्नी लका सम्तु व बीका आमन्तु व अलेका तवक्कलतु व अलेका फतर्तु)
इसका अर्थ है

“हे अल्लाह! मैंने तुझे राज़ी करने के लिए रोज़ा रखा, और
तुझ पर विश्वास किया, तुझ पर भरोसा किया और तुझी पर रोज़ा खोला।”
यह दुआ व्यक्ति के दिल से शुकर अदा करने का एक तरीका है,
जो उसने अल्लाह की कृपा से पूरे दिन का रोज़ा रखा और
अब उसकी भूख और प्यास को अल्लाह की मदद से शांत कर रहा है।

रोज़ा खोलते वक्त यह दुआ एक तरह से आभार और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
इस दुआ के साथ व्यक्ति न केवल अपने शरीर को तृप्त करता है
बल्कि आत्मिक रूप से भी राहत और शांति महसूस करता है। रोज़ा खोलने के इस महत्वपूर्ण पल को रोजा अफ्तार की दुआ आध्यात्मिक रूप से महत्व देते हुए
मुसलमान रमज़ान के महीने में अपने अंदर के विश्वास और ताकत को फिर से महसूस करते हैं।

रमज़ान का महीना आत्म-नियंत्रण, संयम और दुआओं से भरा होता है,
और रोज़ा खोलने की दुआ हमें उस अनुभव को और भी गहरा करने में मदद करती है।
#रोजा खोलने का पाठ यह हमारे जीवन को अल्लाह के करीब लाने का एक मौका होता है।
दुआ मांगने का मुख्य समय

यद्यपि दुआएं किसी भी समय की जा सकती हैं, लेकिन रमजान में कुछ क्षण अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं:
रोज़ा खोलने (इफ़्तार) के समय।
रमज़ान की आखिरी दस रातों के दौरान, विशेष रूप से लैलतुल कद्र (शक्ति की रात) पर।
सुहूर से पहले भोर के समय।
अज़ान और इक़ामत के बीच।
रमज़ान के लिए ज़रूरी दुआएँ

रमज़ान के लिए कुछ ख़ास दुआएँ हैं।
उन्हें सीखने की कोशिश करें या जब
भी संभव हो उन्हें पढ़ने के लिए अपने पास रखें।
अर्धचन्द्र के दर्शन के लिए दुआ
اللَّهُمَّ أَهِلَّهُ علَيْنَا بِالأَمْنِ والإِيمَانِ, और देखें رُشْدٍ وخَيْرٍ
अल्लाहुम्मा अहलिल्हु अलैना बिल-युम्नी वल-ईमान,
वस-सलामती वल-इस्लाम, रब्बी वा रब्बुक अल्लाह हिलालु रुशदीन वा खैरिन
अर्थ: हे अल्लाह, इसे हम पर बरकत, ईमान, सुरक्षा और इस्लाम के साथ उतार दे।
मेरा और तुम्हारा रब अल्लाह है। यह चाँद मार्गदर्शन और भलाई लेकर आए।”
[संदर्भ: अत-तिर्मिज़ी 5:504]