Srikalahasti Temple: दक्षिण के काशी के नाम से प्रसिद्ध है यह शिव मंदिर, दर्शन मात्र से मुरादें होती हैं पूरी
Srikalahasti Temple: दक्षिण के काशी के नाम से प्रसिद्ध है यह शिव मंदिर, दर्शन मात्र से मुरादें होती हैं पूरी
Srikalahasti Temple: श्रीकालहस्ती मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर वायु लिंग के रूप में प्रसिद्ध पंचभूत लिंगों में से एक है। इसकी वास्तुकला अद्भुत है और इसे राहु-केतु दोष निवारण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। स्वर्णमुखी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और शक्ति का केंद्र है।

श्रीकालहस्ती मंदिर: शिवभक्तों के लिए दिव्य तीर्थस्थान
परिचय
श्रीकालहस्ती मंदिर (Srikalahasti Temple) आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
यह मंदिर शिव के पंचभूत लिंगों में से एक वायु लिंग (हवा के तत्व) की उपासना के लिए प्रसिद्ध है।
इसे दक्षिण भारत का “काशी” भी कहा जाता है। मंदिर का नाम श्री (मकड़ी), काल (सर्प) और हस्ति (हाथी) के नाम पर पड़ा, जिन्होंने शिव की घोर तपस्या की थी।
श्रीकालहस्ती मंदिर का धार्मिक महत्व
यह पंचभूत लिंगों में से एक वायु लिंग का मंदिर है, जो हवा तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
मंदिर में जलने वाली दीपक की लौ बिना हवा के भी हिलती रहती है, जो इसकी दिव्यता को दर्शाता है।
यहाँ राहु-केतु दोष निवारण पूजा बहुत प्रसिद्ध है, जो कुंडली दोषों को दूर करने के लिए की जाती है।
मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
यह मंदिर 5वीं शताब्दी में बना था और बाद में चोल और विजयनगर राजाओं द्वारा इसे पुनर्निर्मित किया गया।
मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनी है और मुख्य गोपुरम (गेट टॉवर) 120 फीट ऊँचा है।
गर्भगृह में स्थित वायु लिंग स्वयंभू (स्वतः उत्पन्न) है और इसे शिव का दिव्य रूप माना जाता है।
श्रीकालहस्ती मंदिर की विशेषताएँ
राहु-केतु दोष निवारण पूजा
यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है जो राहु-केतु दोष, कालसर्प दोष और अन्य ग्रह दोषों से पीड़ित हैं।
यहाँ विशेष पूजा करने से नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति आती है।
अखंड जलती दीपक की अद्भुत मान्यता
मंदिर के गर्भगृह में स्थित दीपक बिना किसी हवा के हिलता रहता है,
जिससे शिवलिंग में वायु तत्व की उपस्थिति का प्रमाण मिलता है।
स्वर्ण एवं रजत रथ
यहाँ भगवान शिव की स्वर्ण और रजत रथ यात्रा प्रतिवर्ष की जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
कैसे पहुँचे श्रीकालहस्ती मंदिर?
- निकटतम हवाई अड्डा: तिरुपति हवाई अड्डा (26 किमी दूर)
- रेलवे स्टेशन: श्रीकालहस्ती रेलवे स्टेशन
- सड़क मार्ग: तिरुपति से मात्र 36 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
मंदिर दर्शन का समय
प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक
राहु-केतु पूजा के लिए विशेष समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
श्रीकालहस्ती मंदिर न केवल शिवभक्तों के लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो ग्रह दोषों से मुक्ति चाहते हैं।
इसकी दिव्य शक्ति और प्राचीन महत्व इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाते हैं।
अगर आप आध्यात्मिक शांति और शिव कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें!