Dashashwamedh Ghat: वाराणसी का सबसे पवित्र घाट और गंगा आरती का अद्भुत अनुभव
Dashashwamedh Ghat: वाराणसी का सबसे पवित्र घाट और गंगा आरती का अद्भुत अनुभव
Dashashwamedh Ghat: जानिए दशाश्वमेध घाट का इतिहास, धार्मिक महत्व, गंगा आरती की भव्यता और वाराणसी यात्रा के दौरान यहाँ क्या-क्या करें। पढ़ें यात्रा टिप्स और इस घाट की खासियत, जिससे आपकी वाराणसी यात्रा बन जाएगी यादगार।
दशाश्वमेध घाट: वाराणसी का दिल और आस्था का अद्भुत संगम

अगर आप वाराणसी की यात्रा पर निकले हैं और गंगा के किनारे की असली रौनक देखना चाहते हैं, तो दशाश्वमेध घाट जरूर जाएं। यह घाट न सिर्फ वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन घाट है, बल्कि यहां की गंगा आरती, धार्मिक माहौल और ऐतिहासिकता हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। आइए, जानते हैं दशाश्वमेध घाट की कहानी, महत्व और यहां के अनुभव के बारे में एक दोस्ताना अंदाज में।
दशाश्वमेध घाट का इतिहास और नाम की कहानी
- दशाश्वमेध घाट का नाम सुनते ही मन में सवाल आता है – आखिर इसका नाम दशाश्वमेध क्यों पड़ा? इसके पीछे दो प्रमुख कथाएं हैं:
- पहली कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का स्वागत करने के लिए यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। ‘दश’ यानी दस और ‘अश्वमेध’ यानी घोड़े का यज्ञ – इसी वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।
- दूसरी मान्यता के अनुसार, नागवंशी राजा वीरसेन या कुछ विद्वानों के अनुसार भारशिव राजाओं ने यहां दस बार अश्वमेध यज्ञ किया था, जिससे यह स्थान और भी पवित्र हो गया।
- इस घाट का निर्माण कई बार हुआ। वर्तमान घाट का पक्का निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर और बाजीराव पेशवा ने करवाया था।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दशाश्वमेध घाट वाराणसी के 84 घाटों में सबसे प्रमुख और पवित्र घाटों में गिना जाता है।
यह पंचतीर्थों में भी शामिल है,
यानी वाराणसी के पांच सबसे पवित्र घाटों में एक।
यहां स्नान करना, पूजा करना
और गंगा जल में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है।
गंगा आरती: एक अद्भुत अनुभव
Dashashwamedh Ghat की सबसे बड़ी खासियत है यहां हर शाम होने वाली भव्य गंगा आरती। सूर्यास्त के बाद, दर्जनों पुजारी एक साथ दीप, घंटी और मंत्रों के साथ मां गंगा की आरती करते हैं। आरती का दृश्य, मंत्रोच्चार, घंटियों की आवाज और दीपों की रोशनी – सबकुछ मिलकर एक दिव्य वातावरण बना देते हैं। हजारों लोग, श्रद्धालु और पर्यटक रोज इस आरती को देखने आते हैं, और यह अनुभव जीवनभर याद रहता है।
क्या करें दशाश्वमेध घाट पर?
- गंगा आरती देखें: शाम को होने वाली आरती जरूर देखें, यह वाराणसी की आत्मा है।
- नाव की सवारी: सुबह या शाम के समय नाव से घाटों की सैर करें, जिससे घाटों की खूबसूरती और गंगा का सौंदर्य दोनों का आनंद मिलेगा।
- स्थानीय जीवन का अनुभव: घाट के पास की गलियों में घूमें, बनारसी पान, कचौड़ी-जलेबी का स्वाद लें और स्थानीय हस्तशिल्प की खरीदारी करें।
- फोटोग्राफी: घाट का रंगीन माहौल, आरती, दीपदान और गंगा का विस्तार – सबकुछ कैमरे में कैद करने लायक है।
यात्रा के लिए सुझाव
- सुबह-सुबह या शाम के समय घाट पर जाएं, जब माहौल सबसे सुंदर और जीवंत होता है।
- भीड़ में अपने सामान का ध्यान रखें।
- गंगा स्नान करते समय सुरक्षा का ध्यान रखें।
Dashashwamedh Ghat सिर्फ एक घाट नहीं, बल्कि वाराणसी की धड़कन है।
यह जगह आस्था, संस्कृति, इतिहास और जीवन के रंगों से भरी हुई है।
यहां आकर हर कोई गंगा की शांति,
आरती की दिव्यता और बनारस की आत्मा को महसूस कर सकता है।
अगली बार जब भी वाराणसी जाएं, दशाश्वमेध घाट की यात्रा जरूर करें –
यह अनुभव आपको हमेशा याद रहेगा।