SC/ST आरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST वर्गों के लिए उप-वर्गीकरण की भी सिफारिश की है ताकि इन वर्गों में आरक्षण का लाभ सही तरह से वितरण हो। इसके तहत आर्थिक रूप से मजबूत SC/ST उप-वर्गों को आरक्षण से बाहर रखा जा सकता है। यह प्रणाली सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने और लाभ को असली वंचित तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राज्यों को इसका क्रियान्वयन करने का अधिकार भी दिया गया है। इस विषय पर बहस और सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है.

भारत में SC/ST आरक्षण एक संवैधानिक प्रावधान है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों को सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के कारण सरकारी नौकरियों, शिक्षा तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व में विशेष आरक्षण प्रदान करना है। यह आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत सुरक्षित है, ताकि ये वर्ग मुख्यधारा की समानता में शामिल हो सकें और उनके पिछड़ेपन को दूर किया जा सके।
आरक्षण का महत्व और उद्देश्य
SC/ST आरक्षण का मूल उद्देश्य ऐतिहासिक भेदभाव और सामाजिक व आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहे वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देना है। यह व्यवस्था उन्हें अवसर देती है कि वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समान अवसर प्राप्त करें। इस आरक्षण के माध्यम से समाज में समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना की जाती है।
क्रीमी लेयर और उप-वर्गीकरण की आवश्यकता
हालांकि, वर्तमान में यह समस्या उत्पन्न हो रही है कि SC/ST समुदायों में आर्थिक और सामाजिक
रूप से सशक्त कुछ वर्ग—जिन्हें “क्रीमी लेयर” कहते हैं—आरक्षण का बड़ा हिस्सा हथियाते जा रहे हैं,
जिससे असली पिछड़े और गरीब वर्ग वंचित रह जाते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे
पर ध्यान देते हुए SC/ST वर्गों के उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर की अवधारणा पर विचार प्रारंभ किया है,
ताकि लाभ केवल असली जरूरतमंद तक ही पहुंचे। उप-वर्गीकरण से आरक्षण का लाभ सही वर्ग तक पहुँचेगा
और दुरुपयोग कम होगा।
SC/ST आरक्षण और वर्तमान स्थिति
केंद्र और कई राज्यों में SC/ST कोटे के तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक
संस्थानों में 15% और 7.5% आरक्षण क्रमशः अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए निर्धारित है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कर्मचारियों के लिए यह आरक्षण लागू कर दिया है,
जिससे यह और अधिक प्रभावी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है
कि क्रीमी लेयर मानदंड ओबीसी से अलग होना चाहिए
ताकि इतिहासिक भेदभाव को ध्यान में रखा जा सके।
विवाद और भविष्य की राह
क्रीमी लेयर को SC/ST वर्ग पर लागू करने की मांगें और विरोध दोनों हैं। क्रीमी लेयर लागू करने से कुछ विद्वानों का मानना है कि यह असली पिछड़े वर्गों को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि SC/ST आरक्षण सामाजिक और ऐतिहासिक पिछड़ेपन पर आधारित है, न केवल आर्थिक स्थिति पर। सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर विवेचना कर रहा है और राज्य सरकारों को भी इन विषयों पर नीति बनाने की सलाह दी जा रही है।
निष्कर्ष
SC/ST आरक्षण भारत में सामाजिक न्याय का एक अहम स्तंभ है,
जो असमानताओं को दूर करने और पिछड़े वर्गों को उठाने में मदद करता है।
वर्तमान में क्रीमी लेयर और उप-वर्गीकरण की चर्चा यह सुनिश्चित करने के लिए हो रही है
कि यह लाभ सही और अधिक वंचित वर्गों तक पहुंचे। कानून और न्यायपालिका इस दिशा में सुधार के लिए प्रयासरत हैं
ताकि भारत का आरक्षण प्रणाली न्यायपूर्ण और प्रभावी बनी रहे।

