कर्नाटक कांग्रेस संकट : कर्नाटक में कांग्रेस का राजनीतिक संकट गहराया: CM सिद्धारमैया खड़गे से मिले, दिल्ली तलब। डिप्टी CM शिवकुमार के गुट ने शक्ति प्रदर्शन किया, विधायकों का दिल्ली दौरा। अनौपचारिक ‘पावर शेयरिंग’ डील पर अटकलें, पार्टी छवि को नुकसान। सिद्धारमैया बोले- हाईकमान का फैसला मानेंगे। क्या बदलेगा नेतृत्व? पूरी खबर और विश्लेषण। (265 अक्षर)

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ढाई साल पुरानी हो चुकी है, लेकिन सत्ता का संतुलन अब पूरी तरह बिगड़ गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच चला आ रहा विवाद खुलकर सामने आ गया है। 2023 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पार्टी हाईकमान ने दोनों नेताओं के बीच ‘2.5+2.5 साल’ का अनौपचारिक फॉर्मूला लागू किया था, जिसके तहत सिद्धारमैया को पहले आधे कार्यकाल का सीएम पद मिला। अब नवंबर 2025 में यह समय पूरा होने पर शिवकुमार खेमा पद परिवर्तन की मांग कर रहा है।
संकट की जड़ें: पुराना दुश्मनी का खेल
यह संकट नया नहीं है। 2023 चुनावों से पहले सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच गठबंधन टूटने की कगार पर था। शिवकुमार ने चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाई, जिससे कांग्रेस ने 135 सीटें जीतीं। हाईकमान ने दिल्ली में 5-6 नेताओं की मौजूदगी में ‘सीक्रेट डील’ की, जहां ढाई-ढाई साल का बंटवारा तय हुआ। सिद्धारमैया खेमा इसे नकारता है और पूरे पांच साल का दावा करता है। शिवकुमार के भाई डीके सुरेश ने कहा कि वादा पूरा होना चाहिए।
शिवकुमार समर्थक विधायक दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। लगभग 10-15 विधायकों ने शक्ति प्रदर्शन किया। सिद्धारमैया ने कहा, “सरकार पर कोई संकट नहीं, मैं अगला बजट पेश करूंगा।” लेकिन अंदरूनी कलह ने पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठा दिए।
हाईकमान का हस्तक्षेप: खरगे की भूमिका
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संकट को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “सोनिया जी, राहुल जी और मैं मिलकर इसे सुलझाएंगे।” खरगे कर्नाटक दौरे पर पहुंचे और दोनों नेताओं को दिल्ली तलब करने की योजना बनी। डिनर मीटिंग में पांच बिंदु निकले: पार्टी हित सर्वोपरि, नेतृत्व स्पष्ट करें। राहुल गांधी और सोनिया गांधी की भूमिका अहम रहेगी।
हाल ही में सीएम आवास ‘कावेरी’ पर ब्रेकफास्ट मीटिंग हुई।
सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने कहा, हाईकमान से कोई परिवर्तन निर्देश नहीं मिला।
प्रियंक खड़गे ने इसे पार्टी की ‘टाइमिंग समझ’ बताया। BJP ने तंज कसा कि कांग्रेस दो फाड़ हो जाएगी।
ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी: क्या सुलझेगा विवाद?
29 नवंबर 2025 को सुबह 9:30 बजे ‘कावेरी’ में सिद्धारमैया-शिवकुमार की आमने-सामने बैठक हुई।
दिल्ली हाईकमान के संकेत पर यह कदम उठा। क्या कुर्सी पर खटास दूर होगी?
शिवकुमार ने कहा, “सभी 140 विधायक मेरे।” सिद्धारमैया अड़े हुए हैं।
यदि परिवर्तन हुआ तो प्रदेश अध्यक्ष भी बदलेगा।
संकट के प्रभाव: किला ढहने का खतरा
कांग्रेस का कर्नाटक किला सबसे बड़ा है, लेकिन यह संकट छवि को नुकसान पहुंचा रहा।
हिमाचल जैसी गलतियां दोहराई जा रही हैं। BJP और JDS इसका फायदा उठा रहे।
यदि हाईकमान समय पर फैसला नहीं लेता तो सरकार गिर सकती है।
खरगे ने 1 दिसंबर तक समाधान का वादा किया।
कर्नाटक संकट कांग्रेस की आंतरिक लोकतंत्र की परीक्षा है।
सिद्धारमैया की लोकप्रियता बनाम शिवकुमार की संगठन शक्ति।
अंतिम फैसला हाईकमान का होगा। (कुल शब्द: 612)




