जेम्स वॉटसन लाइफ हि डीएनए की संरचना खोजने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेम्स डी. वॉटसन का निधन। उनके शोध ने आनुवंशिकी और आधुनिक जीवविज्ञान को नई दिशा दी, जिससे विज्ञान की समझ में क्रांतिकारी बदलाव आया

#जेम्स डी. वॉटसन की जीवन गाथा: डीएनए कुंडली के खोजी वैज्ञानिक
जेम्स डेवी वॉटसन का जन्म 6 अप्रैल 1928 को शिकागो, इलिनोइस में हुआ था
वे एक महान आणविक जीवविज्ञानी और
आनुवंशिकीविद् थे, जिन्होंने 1953 में फ्रांसिस क्रिक के साथ मिलकर डीएनए की द्वि-हेलिक्स (Double helix) संरचना की खोज
की, जिसने जीवन विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी। उनका बचपन से ही ज्ञान और जिज्ञासा का प्रेम था, और 15 साल की उम्र में उन्होंने
शिकागो विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ से 19 वर्ष की आयु में उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
बाद में उन्होंने इंडियाना विश्वविद्यालय से प्राणीशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की।
1950 के दशक की शुरुआत में वॉटसन ने कोपनहेगन विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टरेट किया, जहाँ उन्होंने आणविक जीवविज्ञान में
गहरी रुचि विकसित की। 1951 में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कैवेंडिश लैब में गए, जहां उनकी मुलाकात फ्रांसिस क्रिक से हुई।
दोनों वैज्ञानिकों ने शोध कर 1953 में डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना का पता लगाया, जो आनुवंशिक जानकारी के संग्रहण और
हस्तांतरण का आधार थी। इस खोज के चलते 1962 में वॉटसन, क्रिक,
और मौरिस विल्किंस को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वॉटसन ने इस खोज को केवल वैज्ञानिक सफलता नहीं मानकर इसे चिकित्सा, अपराध विज्ञान, और जीवविज्ञान में नई संभावनाओं
के द्वार के रूप में देखा। वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में 1956 से 1976 तक कार्यरत रहे और बाद में 1968 से 1992 तक कोल्ड स्प्रिंग
हार्बर लैबोरेटरी के निदेशक रहे, जहाँ उन्होंने कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा दिया और इसे विश्व स्तरीय अनुसंधान केंद्र बनाया।
उन्होंने मानव जीनोम परियोजना की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,
जिसने मानव जेनेटिक कोड को समझने में क्रांतिकारी बदलाव लाए।
वॉटसन ने विज्ञान को आम जनता के सामने लाने के लिए कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा
‘द डबल हेलिक्स’ सबसे प्रसिद्ध है। इस पुस्तक ने वैज्ञानिक खोज की प्रक्रिया और शोधकर्ताओं के संघर्ष को बखूबी दर्शाया।
जेम्स डी. वॉटसन की जीवन गाथा: डीएनए कुंडली के खोजी वैज्ञानिक
हालांकि वॉटसन के जीवन में विवाद भी आए। उन्होंने नस्ल और बुद्धिमत्ता को लेकर विवादास्पद टिप्पणियाँ कीं, जिसके कारण 2019
में कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैबोरेटरी ने उनसे सभी संबंध समाप्त कर दिए। इसके बावजूद
वह वैज्ञानिक जगत में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किए जाते हैं।
जेम्स डी. वॉटसन का निधन 6 नवंबर 2025 को हुआ, लेकिन उनकी खोज और वैज्ञानिक धरोहर आज भी जीवविज्ञान और
आनुवंशिकी के क्षेत्र में प्रेरणा बनी हुई है। उनका जीवन यह दिखाता है कि एक खोज मानवता के विकास में
कितना बड़ा बदलाव ला सकती है। उनके योगदान से विज्ञान के नए आयाम खुले और आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान के स्रोत प्रदान हुए।




